गिट्टियों ने उधेड़ीं फोरलेन में भ्रष्टाचार की परतें
भांवत चौराहा से करहल चौराहे तक छह पैनल हुए ऊबड़-खाबड़, निर्माण के दौरान घटिया पाए जाने पर भी आंख मूंदे रहे अभियंता।
मैनपुरी, जागरण संवाददाता। शहर में भांवत चौराहे से करहल चौराहे तक बने फोरलेन में भ्रष्टाचार की परतें एक वर्ष में ही उधड़ने लगी हैं। जगह-जगह गिट्टियां उखड़ गई हैं। सीमेंट टूट गया है।
लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड-3 की देखरेख में कुरावली से लेकर सैफई तक फोरलेन सड़क का निर्माण कराया है। शहर में भांवत चौराहे से करहल चौराहे तक भी फोरलेन इसी का हिस्सा था। मार्च 2017 में फोरलेन पर वाहन फर्राटा भरने लगे थे। करोड़ों की लागत से बनी सड़क एक वर्ष भी न चली। कार्यदायी संस्था पीडब्ल्यूडी ने वर्ष निर्माण के दौरान ही भांवत चौराहा से करहल चौराहा तक एक पैनल का सेंपल जांच के लिए भेजा था। इसमें घटिया गुणवत्ता पाई गई थी। विभाग ने तब इस पैनल पर पेचवर्क करा दिया गया था। मगर, उस दौरान अन्य पैनलों की गुणवत्ता को लेकर ठेकेदार मनमानी करता रहा और अभियंता आंख मूंदे रहे।
सेंपल जांच के बाद पेचवर्क किए गए पैनल सहित सभी छह पैनलों में घटिया निर्माण की परतें उधड़ने लगी हैं। शहर में भांवत चौराहा से लेकर करहल चौराहा तक जगह-जगह पर सड़क टूट चुकी है। गिट्टी उधड़ रही है। कुछ स्थानों पर तो सरिया नजर आने लगी है।
पीडब्ल्यूडी के अवर अभियंता केके राजपूत का कहना है कि निर्माण की गारंटी एक वर्ष की है। 30 जून 2018 को ठेकेदार की गारंटी खत्म हो गई है। लेकिन, इससे पहले ही नोटिस भेजे जा चुके हैं। अब ठेकेदार को नए सिरे से निर्माण कराना होगा। सड़क के हिस्से को चार से पांच इंच तक गहराई में काटकर दोबारा केमिकल की मदद से बनाया जाएगा। इसलिए फेल हुई तकनीक: जानकार बताते हैं कि असल में फोरलेन निर्माण में कंक्रीट के ड्रम का प्रयोग किया जाता है। ड्रम में सड़क निर्माण का मसाला होता है। सात से 11 किमी दूरी तक इस मसाले का प्रयोग होना होता है। एक घंटे के अंदर ही इस मसाले को सड़क पर डालना पड़ता है। यदि देर हो जाए तो केमिकल बेलेंस टूट जाता है और उसकी रासायनिक गुणवत्ता प्रभावित होने लगती है। विभाग तर्क दे रहा है कि जिन छह पैनलों में कमी मिली है, उन स्थानों पर निर्माण के दौरान रोजाना जाम लगता था। जिससे हमारा ड्रम घंटों भीड़ में फंसा रहता था। यही वजह रही है कि सड़क में कमी आई है। 275 करोड़ की लागत से हुआ निर्माण: कुरावली से सैफई तक फोरलेन सड़क के निर्माण में लगभग 275 करोड़ रुपये की बड़ी धनराशि खर्च हुई है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इसकी गुणवत्ता की जवाबदेही ठेकेदार की है। जहां भी वर्ष भर तक सड़क क्षतिग्रस्त होती है, दोबारा निर्माण कराया जाएगा।