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थर्मल स्कैनिग के तापमान पर उठे सवाल

मैनपुरी जासं। कोरोना वायरस की पहचान के लिए थर्मल स्कैनिग पहला पायदान है। शासन और प्रशासन स्कैनिग पर जोर दे रहा है। मानना है कि इसके जरिए वायरस के प्रभावित आसानी से पहचान में आ जाएंगे। इसके लिए जगह-जगह पर कोविड हेल्प डेस्क खुलवा दी गई हैं लेकिन इस तकनीक ने लोगों को उलझन में डाल दिया है। शुक्रवार को जागरण ने सरकारी कार्यालयों में उपयोग की जा रहीं थर्मल स्कैनरों की एक्यूरेसी की पड़ताल की। तीन अलग-अलग जगहों पर तापमान में बड़ा अंतर दर्ज किया गया। पूर्वान्ह 1132 बजे जिला अस्पताल की इमरजेंसी में शरीर का तापमान 97.8 रिकॉर्ड हुआ। 1138 बजे 100 शैय्या में स्कैनिग कराई तो तापमान बढ़कर 98.8 पहुंच गया। दोपहर 1203 बजे सर्किल कार्यालय में दोबारा स्कैनिग कराने पर तापमान 99.8 रिकॉर्ड हुआ।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 10:08 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 06:03 AM (IST)
थर्मल स्कैनिग के तापमान पर उठे सवाल
थर्मल स्कैनिग के तापमान पर उठे सवाल

जासं, मैनपुरी: कोरोना वायरस की पहचान के लिए थर्मल स्कैनिग पहला पायदान है। शासन और प्रशासन स्कैनिग पर जोर दे रहा है। मानना है कि इसके जरिए वायरस के प्रभावित आसानी से पहचान में आ जाएंगे। इसके लिए जगह-जगह पर कोविड हेल्प डेस्क खुलवा दी गई हैं, लेकिन इस तकनीक ने लोगों को उलझन में डाल दिया है। शुक्रवार को जागरण ने सरकारी कार्यालयों में उपयोग की जा रहीं थर्मल स्कैनरों की एक्यूरेसी की पड़ताल की। तीन अलग-अलग जगहों पर तापमान में बड़ा अंतर दर्ज किया गया। पूर्वान्ह 11:32 बजे जिला अस्पताल की इमरजेंसी में शरीर का तापमान 97.8 रिकॉर्ड हुआ। 11:38 बजे 100 शैय्या में स्कैनिग कराई तो तापमान बढ़कर 98.8 पहुंच गया। दोपहर 12:03 बजे सर्किल कार्यालय में दोबारा स्कैनिग कराने पर तापमान 99.8 रिकॉर्ड हुआ।

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आइआर तकनीक देखती है सिर्फ गर्मी: असल में थर्मल स्कैनर इंफ्रारेड तकनीक पर काम करती हैं जो सिर्फ गर्मी को ही रिकॉर्ड कर रही हैं। एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. अनिल यादव का कहना है कि स्कैनर शरीर की गर्मी को रिकॉर्ड करती हैं, लेकिन इस समय मौसम भी गर्म है। ऐसे में कई बार स्कैनिग के स्थान और धूप का भी फर्क पड़ जाता है।

बरती पूरी एहतयात, फिर भी रीडिग में मिला अंतर: जागरण टीम ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा बताई गई जानकारी के अनुसार रीडिग दी। स्कैनिग कराने से पहले छांव में कुछ देर ठहरकर जांच कराई। बावजूद इसके रीडिग में अंतर नहीं आया।

डिजिटल मशीनों में होता है अंतर: सीएमओ डॉ. एके पांडेय का कहना है कि ये सभी मशीनें कंप्युटराइज्ड होती हैं। कई बार ये टाइम टू टाइम तापमान को स्वत: रिकॉर्ड करती रहती हैं। इन्हें जिन कंपनियों द्वारा बनाया गया है, उनमें प्री लोडेड प्रोग्राम फीड है। ऐसे में डिजिटल मशीनों में अंतर आना स्वाभाविक है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 96 से 98.4 डिग्री फैरनहाइड तक का तापमान सामान्य माना जाता है। इससे ऊपर हाइपर स्थिति होती है।

ये बरती जा रही सावधानी

सीएमओ का कहना है कि यह सिर्फ बुखार की स्थिति देखने का एक पैमाना मात्र है। यदि किसी का तापमान ज्यादा दर्ज होता है तो हम उसे गंभीर नहीं मानते, क्योंकि कई बार परिस्थितियों का प्रभाव भी पड़ता है। ऐसे लोगों को मॉनिटर किया जाता है। दो दिन बाद दोबारा आशा की टीम को भेजकर स्कैनिग कराई जाती है। सामान्य मिलने पर उन्हें मॉनीटरिग सूची से हटा दिया जाता है।


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