दिन में एकांतवास, रात में घर में वास
मैनपुरी जासं। सुबह के आठ बजे हैं। ग्राम सभा लहरा महुअन के राधा नगर के प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल में बनाए गए अस्थाई शेल्टर होम में ताला लटका था। आधे घंटे बाद यह दोनों शेल्टर होम खुल गए थे। बाहर से आए कुछ अपने परदेशियों को यहां जबरन गांव से लाकर एक कमरे में बैठाया गया था। दूसरे कमरे में टैंट के गद्दे बिछे थे लेकिन यह खाली थे।
श्रवण कुमार शर्मा, मैनपुरी:
सुबह के आठ बजे हैं। ग्राम सभा लहरा महुअन के राधा नगर के प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल में बनाए अस्थाई शेल्टर होम में ताला लटका है। आधा घंटे बाद यह दोनों शेल्टर होम खुल गए। बाहर से आए कुछ लोगों को यहां जबरन गांव से लाकर एक कमरे में बैठाया गया। दूसरे कमरे में टेंट के गद्दे बिछे हैं, लेकिन वह खाली हैं।
कुछ ऐसा ही नजारा जिले की दूसरी ग्राम पंचायतों में बनाए शेल्टर होम का भी है। गुरुवार सुबह आठ बजे राधानगर मजरे में पहुंचे। वहां रास्ते में खड़े ग्रामीण से बाहर से आए लोगों की जानकारी ली। रामजीलाल नाम के शख्स ने बताया कि करीब 70 ऐसे ग्रामीण यहां दूसरे जिलों और राज्यों से आए हैं। शेल्टर होम की पूछने पर उसने आगे की ओर इशारा कर दिया। लहरा महुअन गांव की ओर बढ़ने पर यह दोनों शेल्टर होम पाठशाला और जूनियर में बने थे। दोनों में ताला लगा था। लहरा महुअन से एक घंटे बाद लौटकर आने पर दोनों के ताले खुल गए थे। एक कमरे में गद्दों पर कुछ युवक पास-पास बैठे नजर आए, जबकि इसी से सटे दूसरे कमरे में गद्दे बिछे थे, जहां कोई नहीं था।
नहीं हैं इंतजाम: शेल्टर होम में बैठे युवकों ने बताया कि वह चार से छह दिन पहले गांव आए थे। स्वजनों के साथ रह रहे हैं। अब उनको शेल्टर होम में रहने को कहा है। यहां गद्दों के अलावा कोई इंतजाम नहीं है। खाने की छोड़िए, यहां नाश्ते का भी प्रबंध नहीं है। रात के समय सोने के वक्त ओढ़ने तक का इंतजाम नहीं है, ऐसे में यहां रहने से क्या होगा। वह कुछ देर के लिए यहां बैठाए जाते हैं, बाद में घर चले जाते हैं।
पैदल और मददगारों से मिली मंजिल: लॉकडाउन होने के बाद नोएडा में खाद्य वस्तुओं की दुकानें बंद होने से उनके पास जमा राशन समाप्त हो गया। पैसे भी खत्म होने को थे, तो वह गांव जाने को पैदल ही चल दिए। लहरा महुअन गांव के उप गांव राधानगर के रहने वाले प्रशांत ने बताया कि नोएडा से गांव के बीच की दूरी 300 किमी है। वह गांव के लिए नोएडा से पैदल चल दिए। रास्ते में एबुलेंस और अन्य वाहनों की मदद के साथ पैदल एटा तक आए, जहां फोन से स्वजनों को बुलाया तो वह मोटर साइकिल लेकर आए। एक्सपोर्ट कारखाने में सिलाई करने वाले प्रशांत होली पर ही गांव से नोएडा गए थे।
नौकरी मिली तो हो गया लॉकडाउन: राधा नगर के प्रबल प्रताप सिंह नौकरी की चाह में 17 मार्च को हरियाणा के बल्लभगढ़ गए थे। एक कंपनी के एचआर विभाग में काम मिला तो सपनों को सजाया। लॉकडाउन होने पर वह वहीं फंस गए। 27 मार्च को बस सेवा शुरू हुई तो बिना मौका गवाएं मैनपुरी आ गए। इस दौरान वे स्वजनों को भी साथ ले आए।
ग्रामसभा में दो शेल्टर होम बनाए गए हैं, गद्दों के अलावा हाथ धोने का इंतजाम किया गया है। यहां कोई रुकना ही नहीं चाहता, ऐसे में वे क्या करें। - नारायन श्री, प्रधान।
बाहर से आए ऐसे ग्रामीणों के लिए अस्थाई शेल्टर होम में इंतजाम का जिम्मा प्रधान को दिया है। पांच हजार की राशि से बेहतर व्यवस्था को कहा है। सचिवों से जानकारी कराकर मनमानी पर कार्रवाई करेंगे। -स्वामीदीन, डीपीआरओ।