शहीद के गांव में स्मारक स्थल को लेकर रही रस्साकसी
रामवकील के शहीद होने की जानकारी मिलते ही एसडीएम करहल आरएस मौर्या विनायकपुर पहुंच गए। गांव में पहले से ही काफी भीड़ थी। शहीद के रिश्तेदार भी गांव आए हुए थे। रिश्तेदारों व ग्रामीणों से शहीद के अंतिम संस्कार स्थल पर स्मारक बनाने की मांग की। ग्रामीणों का कहना था कि अंतिम संस्कार के लिए अधिकारी सरकारी जमीन उपलब्ध कराए। आरोप है कि एसडीएम ने ग्रामीणों से कहा कि सार्वजनिक श्मशान पर अंतिम संस्कार कराया जाए।
मैनपुरी (जागरण संवाददाता) । रामवकील के शहीद होने की जानकारी मिलते ही एसडीएम करहल आरएस मौर्या विनायकपुर पहुंच गए। गांव में पहले से ही काफी भीड़ थी। शहीद के रिश्तेदार भी गांव आए हुए थे। रिश्तेदारों व ग्रामीणों ने शहीद के अंतिम संस्कार स्थल पर स्मारक बनाने की मांग की। ग्रामीणों का कहना था कि अंतिम संस्कार के लिए अधिकारी सरकारी जमीन उपलब्ध कराएं। आरोप है कि एसडीएम ने ग्रामीणों से कहा कि सार्वजनिक श्मशान पर अंतिम संस्कार कराया जाए। वहीं स्मारक बना दिया जाएगा। ये बात ग्रामीणों को बर्दाश्त नहीं हुई। इस पर कहासुनी होने लगी।
एसडीएम ने क्षेत्रीय लेखपाल से ग्रामसभा के स्वामित्व की जमीनों के बारे में जानकारी ली तो गांव के पास ही एक जगह होने की जानकारी मिली। मौके पर जाकर देखा गया तो उसमें गेहूं की फसल खड़ी थी। एसडीएम ने फसल जोतकर अंतिम संस्कार स्थल बनवाने के निर्देश दिए। ग्रामीणों ने बताया कि जमीन पर गांव के हिम्मत यादव का पुराना कब्जा है। गांव के लोग ट्रैक्टर से फसल जोतने के लिए तैयार नहीं हुए तो मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल बुलाया गया। पुलिस देखरेख में ट्रैक्टर से फसल जोतकर जमीन को शहीद के परिजनों की सुपुर्दगी में दिया गया। हालांकि, एसडीएम ने परिजनों के साथ किसी प्रकार की कहासुनी से इन्कार किया है।