बाबू और निर्वाचन अधिकारी ने लिया वीआरएस
पत्र में बताए पारिवारिक कारण, अंदरुनी वजह दफ्तर में मनमानी, अधिकारी की दस वर्ष और बाबू की 15 वर्षो की नौकरी थी।
दिलीप शर्मा, मैनपुरी। लोकसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच निर्वाचन अधिकारी और बाबू के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति(वीआरएस) ने सरकारी तंत्र में खलबली मचा दी है। पत्र में तो पारिवारिक कारण बताए गए हैं, मगर दबी जुबां से कार्यालय में मनमानी को मुख्य वजह बताया जा रहा है।
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीते एक सितंबर से मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण अभियान शुरू हुआ था। उस वक्त जिला निर्वाचन कार्यालय में फूलचंद सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी और चार बाबू थे। 27 नवंबर को लिपिक ललित चावला ने वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया। विभागीय कर्मी इसकी वजह पर मंथन करते, सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी फूलचंद ने भी 31 दिसंबर को वीआरएस का पत्र भेज छुट्टी पर चले गए। कार्यालय में होती है मनमानी: दोनों हालांकि पारिवारिक कारण बता रहे हैं, परंतु सूत्रों की माने तो असली वजह निर्वाचन दफ्तर में मनमानी है। अफसरों को डराया-धमकाया भी जाता है। पुनरीक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है। समीक्षा बैठकों में अधिकारी को डांट सहनी पड़ती थी। कहीं गलत काम का दबाव तो नहीं: वीआरएस पर खुद अधिकारी और बाबू भी चुप्पी साधे हैं। परंतू सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे अनैतिक दवाब भी हो सकता है। निर्वाचन कार्य में होने वाले खर्च में गड़बड़ी के लिए सभवत: उन पर दवाब बनाया जा रहा था। ऐसे में मुश्किल से बचने के लिए यह कदम उठाया गया।