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बदहाल विरासतों की दहलीज पर विजय उत्सव

जागरण संवाददाता, महोबा : भुजरियों के युद्ध और शौर्य के प्रमाण के रूप में होने वाले कजली महो

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 11:20 PM (IST)Updated: Tue, 28 Aug 2018 11:20 PM (IST)
बदहाल विरासतों की दहलीज पर विजय उत्सव
बदहाल विरासतों की दहलीज पर विजय उत्सव

जागरण संवाददाता, महोबा : भुजरियों के युद्ध और शौर्य के प्रमाण के रूप में होने वाले कजली महोत्सव का आगाज हो चुका है। मेला परिसर में लोगों की भारी भीड़, सांस्कृतिक मंच व आल्हा मंच में बुंदेली संस्कृति के कार्यक्रम दिखाई दे रहे हैं। दूसरी ओर धरोहरों की बदहाली, सांस्कृतिक मंच के बगल में पहाड़ी पर बने मकान, तालाब की जमीन पर कब्जा यहां की वास्तविकता बयां कर रहे हैं। जिसके लिए मेला लगा है, उसी को बेगाना कर दिया गया। पर्यटन की दृष्टि से यहां विकास का एक भी पत्थर नहीं रखा जा सका।

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तत्कालीन सीएम ने की थी राजकीय मेला की घोषणा

18 जून 2013 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लैपटाप वितरण करने महोबा आए और इस ऐतिहासिक मेले को राजकीय मेले का दर्जा की घोषणा की, लेकिन यह धरातल पर नहीं उतरी। बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने सांसद, विधायक व डीएम से मांग की थी कि इस बार सीएम योगी आदित्यनाथ को मेले में बुलाया जाए ताकि वह ऐतिहासिकता से रूबरू कराकर इसे राजकीय मेले का दर्जा दिलाया जा सके। इसके बाद भी प्रशासन और जनप्रतिनिधियों में से कोई इस प्रस्ताव पर गंभीर नहीं हुआ।

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समिति बनते ही बिगड़ा मेले का स्वरूप

कजली महोत्सव बुंदेलों का उत्सव है। महोबा के अच्छेलाल सोनी, र¨वद्र तिवारी, उमेश यादव व अंचल सोनी बताते हैं कि पहले मेले का आयोजन पालिका कराती थी। कीरतसागर, डाकबंगला, शिव तांडव व हवेली दरवाजा में मेला लगता था। साल 2012 में तत्कालीन डीएम डॉ. काजल ने महोबा संरक्षण एवं विकास समिति गठित कर मेला की जिम्मेदारी अधिकारियों को सौंपी। इसके बाद मेला एक जगह पर सीमित होकर रह गया। नगर पालिक परिषद ने दोबारा मेले को विस्तार देने के लिए बोर्ड में प्रस्ताव पारित कर शिव तांडव (गोरखगिरि) और हवेली दरवाजे पर दंगल की परंपरा शुरू की है।

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दुर्दशा पर फफक रही विरासतें

चौहान सेना की विजय के गवाह शहर के ऐतिहासिक गोरखगिरि, कोणार्क की तर्ज पर बना ऐतिहासिक सूर्य मंदिर, खखरामठ सहित तमाम ऐसी धरोहरें हैं, जो अपनी दुर्दशा पर फफक रही है। जिम्मेदारों की अनदेखी और पर्यटन विकास की दिशा में किसी के रुचि न लेने से विरासतें बदहाली का दंश झेल रही हैं।

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150 करोड़ रुपये स्वीकृत

महोबा की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए केंद्र सरकार से लगभग 150 करोड़ रुपये स्वीकृत कराया है। कार्यक्रम के बाद टेंडर प्रक्रिया पूरी कर कीरत सागर और मदन सागर का सुंदरीकरण होगा। इसके बाद गोरखगिरि के लिए धन की मांग करेंगे।

-राकेश गोस्वामी, विधायक महोबा


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