खेत में सड़ रही सब्जी, मुरझा रहे किसानों के चेहरे
लोगों की रोजमर्रा की जरूरत में आने वाली सब्जी
संवाद सूत्र, भरवारा (महोबा) : कोरोना ने सभी को प्रभावित किया, लेकिन यह किसानों पर गहरी छाप छोड़ जाएगा। क्योंकि, खेतों में सब्जियां तैयार खड़ी हैं और किसान उन्हें चाह कर भी नहीं बेच पा रहे हैं। ऐसी दशा में सब्जी की लागत तक नहीं निकल रही है और उत्पादक को लाखों रुपये का नुकसान होता दिख रहा है। लॉकडाउन के कारण यातायात पूरी तरह से प्रतिबंधित होने के कारण सब्जियां मंडी तक नहीं पहुंच पा रही हैं। किसानों की हालत जानने के बाद भी अफसरों की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इन स्थितियों के चलते किसानों को-रोना आ रहा है।
लॉकडाउन की गाज मेहनतकश किसानों और श्रमिकों पर गिर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे सब्जी उत्पादक किसानों के सामने पेट भरने की समस्या खड़ी हो रही है। खेतों में सब्जियों की फसल तैयार है, लेकिन बाजार न मिलने से वहीं बर्बाद हो रही हैं। किसानों का कृषि उद्यम पूरी तरह ठप हो गया है। गांव में भाव नहीं मिल रहा है और लगभग 15 किलोमीटर दूर थोक मंडी कुलपहाड़ ले जाने के लिए कोई साधन नहीं है। क्षेत्र के सतारी, भरवारा आदि इलाकों में किसानों ने हरी सब्जी में खीरा, भिडी, कद्दू, बंद गोभी, बैंगन, करेला, लौकी, तरोई आदि का उत्पादन किया। उत्पादन के शुरुआती दिनों में सब्जियां तोड़ कर स्थानी स्तर पर बिक्री शुरू की पर वहां उन्हें तोड़ाई में लगने वाला मेहनताना भी नहीं मिला। उधर, उद्यान विभाग ने मंडी तक सब्जी लाने के ठोस साधन नहीं उपलब्ध कराए गए। इससे किसान असहाय हो कर रह गया और खेत में ही सब्जियां छोड़ दीं जो अब बर्बाद हो रहीं हैं।
क्षेत्रीय किसान नारायण, दिलीप, चंद्रभान आदि ने बताया की उनका केवल यही धंधा है। इससे मिले धन से परिवार का पालन पोषण करते हैं। किसानों ने मोबाइल फोन पर जिला उद्यान अधिकारी से बात की तो उन्होंने विभाग के पास कोई इंतजाम न होने का दो टूक जवाब देकर फोन कट कर दिया। बाजार की जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी डीएसओ को सौंपी गई है। हमारे यहां विभाग में ऐसे कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे सब्जियों को बाजार तक लाने का तरीका बताया जा सके।
विजय कुमार चौरसिया, जिला उद्यान अधिकारी