स्वजन ने छोड़ दी थी उम्मीद, तब योग ने दिया जीवन
संवाद सूत्र कबरई (महोबा) कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे कल्याण जब मौत से जंग जूझ लड़
संवाद सूत्र, कबरई (महोबा) : कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे कल्याण जब मौत से जंग जूझ लड़ रहे थे तो स्वजनों ने भी उम्मीद छोड़ दी थी। इसी बीच कल्याण ने योग की राह अपनाई और कुछ दिनों बाद उनके स्वास्थ्य में सुधार दिखाई देने लगा। इसके बाद उन्होंने योग का साथ नहीं छोड़ा, क्योंकि उन्हें एक नई जिंदगी के साथ एक नया रास्ता भी मिल गया था। इसके साथ ही उन्होंने कई लोगों को योग के जागरूक किया।
कबरई के उद्योगपति व समाजसेवी कल्याण सिंह जीवन के 65 बसंत पार कर चुके हैं। बीते दिनों वह आम लोगों की तरह अनियमित दिनचर्या के चलते वर्ष 2003 में मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप के शिकार हो गए। डॉक्टरों व बड़े अस्पतालों के इलाज के बावजूद सेहत में सुधार नही हुआ और धीरे धीरे हृदय के वाल्व में चरबी (फैट) बढ़ जाने से दिल्ली के एस्कार्ट हॉस्पिटल में हृदय की सर्जरी हुई। 48 घंटे तक बेहोशी की हालत में रहने पर स्वजनों ने बचने की उम्मीद छोड़ दी। पर जब होश आया तब 10 दिनों तक पूर्णतया याददाश्त खो चुके थे। जैसे ही हालत में सुधार हुआ तब उनकी सोच में पूर्णतया बदलाव आ चुका था। मानव शरीर को परमात्मा का अमूल्य वरदान मानते हुए उन्होंने जीवन शैली में बदलाव का निश्चय किया। इस समय उनकी मदद शहर निवासी योगाचार्य शिवकुमार त्रिपाठी ने की और मुख्यालय से कबरई के बद्री सिंह बालिका इंटर कालेज में सुबह 5 बजे पहुंचकर योगाभ्यास कराना प्रारंभ किया। आसनों व प्राणायाम के प्रभाव को देख कल्याण सिंह ने अपने साथियों को भी जोड़ा और वर्ष 2005 से बालिका इंटर कालेज में 20 से 25 योग साधक नियमित योगाभ्यास करने लगे। इस बीच भारतीय योग संस्थान द्वारा दिल्ली व जम्मू में लगने वाले योग प्रशिक्षण शिविरों में भी भाग लेकर कस्बे के तमाम लोगो को योग से जोड़ा। आज 65 वर्ष पार हो जाने के बावजूद बिना किसी दवा के मधुमेह, उच्चरक्तचाप, मोटापा आदि से दूर पूर्ण स्वस्थ्य हैं।