बुंदेलखंड के किसानों की सेवा करना ही धर्म
जागरण संवाददाता, महोबा: हमारा उद्देश्य ही केवल यही है कि समाज के लिए कुछ दे कर जाऊं।
जागरण संवाददाता, महोबा: हमारा उद्देश्य ही केवल यही है कि समाज के लिए कुछ दे कर जाऊं। जीवन अनमोल है, इसका एक-एक पल परोपकार में लगे इससे बढ़ हमारे लिए और कुछ नहीं। वह अन्ना जानवर जिन्हें किसान, अधिकारी लाठी मार कर इधर-उधर भगाते हैं उन्हें नहीं पता कि किसानों के लिए वही जानवरों उनके लिए कितना उपयोगी हैं। घायल और बीमार मवेशी तथा भटकती गाय व गोवंश की सेवा करने के साथ अमित शर्मा सोशल वर्क से भी जुड़े हैं। तालाबों की सफाई, स्वच्छता अभियान में भी आगे-आगे रहते हैं। इन्हीं कार्यों को लेकर उन्होंने अपने व्यवसाय को बंद कर दिया।
बीकाम कर चुके अमित शर्मा वैसे तो बांदा जिले के बबेरू के रहने वाले हैं लेकिन पिता चंद्रशेखर शर्मा की नौकरी के चलते वह महोबा में ही आकर रहने लगे। इनका मुख्य व्यवसाय खेती है। बीच में वह फुटवियर की दुकान कुछ समय के लिए खोली लेकिन समाज सेवा के कारण उन्हें बाद में उसे बंद करना पड़ा। वर्तमान में अमित एलएलबी कर रहे हैं। सामाजिक कार्य के लिए उनके पास पूरा समय ही समय है। अब तो लोग उन्हें फोन करके सूचना देते रहते हैं कि फला स्थान पर गाय जख्मी या बीमार पड़ी है। या फिर और भी कुछ ऐसे समाज से जुड़े काम, सभी में आगे रहते हैं।
परहित धर्म सरस न¨ह भाई.
अमित शर्मा की सोच है कि समाज को देने से जो सुख मिलता है वैसा सुख और किसी काम में नहीं है। जीवन मिला है तो इसका उपयोग करके सही रास्ता अपनाओ। इसी इरादे के साथ बस आगे बढ़ते जा रहे हैं।
नेकी करते जाओ
गाय की सेवा करने के लिए कोई स्थान तय नहीं है। बल्कि उन्हें जहां भी सूचना मिलती है, वहां पहुंच जाते हैं, बीमार, घायल गायों का इलाज और सेवा स्वयं करते हैं। डाक्टर की जरूरत पड़ी तो साथ लेकर जाते हैं।
पंद्रह साल से जुटे हैं
15 साल से इस काम में जुटे हुए हैं। इंटर कक्षा में थे तभी से गायों की सेवा करना उन्हें अच्छा लगता है। सोशल स्तर पर जो भी काम होता है उसमें आगे-आगे रहते हैं। अब आगे इसी तरह से एक संस्था डाल कर किसान और निरीह पशुओं की सेवा करने का इरादा है।
अन्ना जानवरों के लिए किसान दोषी
अन्ना जानवरों को लेकर जो नुकसान हो रहा है उसका दोषी किसान ही है। किसान भूसा बेंच दे रहे हैं, उनमें सेवा भाव बचा ही नहीं है। जानवर पालने से क्या लाभ हो सकता है, उन्हें यही नहीं पता है। दूध, गोबर, मूत्र का महत्व ही नहीं मालूम, इसी उदेश्य पर आगे काम करने का इलादा है। किसानों को जागरूक करके उन्हें उसकी उपयोगिता समझाई जाए।
मैं अपना काम गाकर नहीं
प्रसिद्धी पाने के लिए समाज की सेवा नहीं करता, गाकर लोगों को बताऊं कि मैं यह कर रहा हूं, हमारा उद्देश्य है कि समाज के प्रति हमारा जो फर्ज है उसे पूरा करें। अपने खाली समय में समाज के लिए क्या कर सकते हैं यही सोच है। ¨स¨गग का भी शौक है। बांबे में म्यूजिक डायरेक्टर डीएस चंद्रा से भेंट की थी। उनसे कुछ टिप्स भी लिए। परिवार में एक और बड़े भाई हैं। दो बहन हैं।