मेहनताना भुगतान तो दूर, वन कर्मियों ने जॉब कार्ड भी हड़पे
संवाद सूत्र, बेलाताल (महोबा): सूखे की मार से परेशान जनपद के लोग किसी तरह निजी अथवा मनरेगा
संवाद सूत्र, बेलाताल (महोबा): सूखे की मार से परेशान जनपद के लोग किसी तरह निजी अथवा मनरेगा के तहत मेहनत मजदूरी कर गुजारे का प्रयास कर रहे हैं। इसी आशा पर एक दर्जन से अधिक महिलाओं ने वन विभाग में मनरेगा के तहत मजदूरी की। मजदूरी मिलना तो दूर लगभग आठ माह बीतने के बाद उनके जाब कार्ड तक वापस नहीं किए जा रहे हैं। महिलाओं ने सामूहिक रुप से हाल में हुए तहसील दिवस में फरियाद की और न्याय का इंतजार कर रही हैं।
बदहाली की मार झेल रहा बुंदेलखंड में लोग निजी अथवा मनरेगा में मजदूरी कर पेट व परिवार पालने के मजबूर हैं। ऐसे हालात में काम लेकर भुगतान न करना उनके लिए किसी अभिशाप से कम नहीं होता। तहसील दिवस में जैतपुर के मुढ़ारी की लगभग एक दर्जन अनुसूचित वर्ग की महिलाओं ने शिकायती पत्र देते हुए कहा कि उन्होंने लगभग आठ माह पहले गर्मियों की तपती धूप में 175 रुपये रोज पर वन विभाग अजनर रेंज के जंगलों में पौध रोपण का काम किया। किसी ने बीस दिन तो कुछ ने पूरे महीने या इससे अधिक भी समय दिया। भुगतान के नाम पर एक दो लोगों को छोड़ दें तो आज तक किसी के खाते में मजदूरी नहीं पहुंची। यही नहीं सभी के जाब कार्ड भी विभाग के लोगों ने अपने पास जमा कर लिए हैं। जॉबकार्ड मांगने पर अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता है। दफ्तर पर धरना प्रदर्शन पर सरकारी काम में बाधा की रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी दी जा रही है। मजदूरी न पाने वालो में गेंदारानी, जयबाई, रामकली, पार्वती, पुष्पा, दर्जी, सुनीता, गुलाबरानी, आरती, सुरेश, नौनी, कस्तूरी आदि ने अब मुख्यालय पहुंच कर जिलाधिकारी से मिल कर शिकायत की बात कही है। मामले में वन रेंज अधिकारी सीबी ¨सह ने कहा कि मस्टररोल बना कर भेज दिया गया है। जल्द भुगतान हो जाएगा। आठ माह बाद मस्टररोल के सवाल पर फोन काट दिया। दूसरी तरफ विकास खंड के अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा विजय कुमार सोनी ने कहा कि उन्हें अभी तक किसी तरह का मस्टररोल नहीं मिला है।
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इतना पुराना मस्टररोल किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यदि ऐसी शिकायत है तो मामले की गंभीरता से जांच करा कर कार्रवाई की जाएगी। - रामजी राय, प्रभागीय वन अधिकारी