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सेविलें चरन तोहार हे छठी मइया..

जागरण संवाददाता, महोबा: पूर्वांचल भारत के प्रमुख छठ पर्व की शुरुआत जनपद मुख्यालय में भी देखने

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 11:36 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 11:36 PM (IST)
सेविलें चरन तोहार हे छठी मइया..
सेविलें चरन तोहार हे छठी मइया..

जागरण संवाददाता, महोबा: पूर्वांचल भारत के प्रमुख छठ पर्व की शुरुआत जनपद मुख्यालय में भी देखने को मिली। बिहार प्रांत के नौकरी पेशा व कारोबारी दंपती पूजन सामग्री पर जलते दीपक की डलिया सिर पर लिए साथ में महिलाएं 'सेविलें चरन तोहार हे छठी मइया, महिमा तोहर अपरा' गीत गाते हुए पूजन की अलौकिक छटा बिखेरते कीरत सागर तट पहुंचे। बुंदेलखंड में महोबा में पहली बार हो रहे इस पूजन को देखने के लिए सरोवर तट पर लोग पहुंच गए।

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कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को होने वाली सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत में मनाया जाता है। धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी पूर्वांचलवासियों के साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है। मान्यता है कि यह व्रत पारिवारिक सुख तथा मनोवांछित फल देता है।

छठ पर्व किस प्रकार मनाते हैं। चार दिनों का यह पर्व भैयादूज के तीसरे दिन से आरम्भ होता है। पहले दिन सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरम्भ होता है। व्रती दिन भर अन्न-जल त्याग कर शाम करीब 7 बजे से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य चढ़ाते हैं। पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहां भक्तिगीत गाये जाते हैं। अंत में लोगो को पूजा का प्रसाद दिया जाता हैं। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को तथा समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। वे पानी भी ग्रहण नहीं करते। नहाय खाय, खरना, संध्या अ‌र्घ्य व उषा अ‌र्घ्य के साथ व्रत की पूर्णता होती है। ऐसी मान्यता भी है कि छठ पर्व पर व्रत करने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। पुत्र की चाहत रखने वाली और पुत्र की कुशलता के लिए सामान्य तौर पर महिलाए यह व्रत रखती हैं। पुरुष भी पूरी निष्ठा से अपने मनोवांछित कार्य को सफल होने के लिए व्रत रखते हैं।


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