Move to Jagran APP

गर्भवतियों के लिए नौ माह में चार बार जांच जरूरी

गर्भवतियों के लिए नौ माह में चार बार प्रसवपूर्व जांच जरूरी

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Aug 2022 06:44 PM (IST)Updated: Thu, 25 Aug 2022 06:44 PM (IST)
गर्भवतियों के लिए नौ माह में चार बार जांच जरूरी
गर्भवतियों के लिए नौ माह में चार बार जांच जरूरी

गर्भवतियों के लिए नौ माह में चार बार जांच जरूरी

prime article banner

जागरण संवाददाता, महोबा: गर्भधारण के साथ ही गर्भवती का भ्रूण के साथ भावनात्मक संबंध बन जाता है। जच्चा बच्चा की उचित देखभाल जरूरी होती है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं की नौ माह में चार बार प्रसवपूर्व जांच आवश्यक है। इससे गर्भावस्था संबंधी जोखिम और जटिलताओं से बचाव में मदद मिलती है। जागरूकता का नतीजा है कि नौ माह में चार बार एएनसी करवाने वाली महिलाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है।

एसीएमओ, आरसीएच डा. वीके चौहान ने बताया कि जिले में वर्ष 2019-20 में 10720 एएनसी पंजीकृत की गईं। इसमें 83 फीसदी यानी 8932 गर्भवतियों ने नौ माह में चार बार एएनसी जांच करवाई। इसी तरह वर्ष 2020-21 में से 22907 में 20421 (89 फीसदी), वर्ष 2021-22 में 24656 में से 22258 (90 फीसदी) और इस साल अप्रैल माह से जुलाई तक 8503 में से 7945 यानी 93 फीसदी गर्भवतियों ने चार बार एएनसी करवाने में दिलचस्पी दिखाई है। जिला महिला अस्पताल के महिला रोग विशेषज्ञ डा. एसके वर्मा ने बताया गर्भवती महिला की नौ माह में चार बार प्रसवपूर्व जांच की जाती है। इनमें प्रथम जांच 12 सप्ताह के भीतर या गर्भावस्था का पता चलने के साथ होती है। दूसरी जांच 14 से 26 सप्ताह, तीसरी जांच 28 से 34 सप्ताह तथा चौथी जांच 36 सप्ताह से प्रसव के समय तक के बीच होती है। शहर के शेखूपुरा की निवासिनी सावित्री पत्नी रामबिहारी ने बताया कि पिछले माह उनका सामान्य प्रसव हुआ है। इससे पहले उसका दो बार गर्भपात हो चुका है। जिसकी वजह से वह हाई रिस्क प्रेग्नेंसी यानि उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की चपेट में आ गई थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.