देश आजाद होने पर झूमने लगे थे लोग
जागरण संवाद, महोबा : देश की आजादी के बारे में जिक्र करते ही 85 वर्षीय वृद्ध पं गोपाल पटैरि
जागरण संवाद, महोबा : देश की आजादी के बारे में जिक्र करते ही 85 वर्षीय वृद्ध पं गोपाल पटैरिया का सीना चौड़ा हो गया और उन्होंने उस दौर का संस्मरण सुनाया। उनकी आंखों में फक्र दिखा लेकिन देश की वर्तमान तस्वीर को देखकर वह दुखी भी हुए। भटीपुरा निवासी पं गोपाल पटैरिया बताते है कि 1947 के उस दौर में वह महज 14 साल के थे। तब 5 अगस्त को एक आंदोलन पं मन्नू लाल द्विवेदी, ममता सक्सेना की अगुवाई में चला था। जिसमें कुछ रियासत कर्मी, पुलिस अधिकारियों ने गिरफ्तारी दी थी। वह बताते है कि एक पुलिस वाले के साथ वह भी गिरफ्तारी देने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें बच्चा कहकर अंग्रेज पुलिस ने भगा दिया था।
नौगांव मप्र में एक पालीकल एजेंट अंग्रेज अधिकारी ने आंदोलन दबाने का प्रयास किया और फोर्स को बुलाकर लाठी चार्ज कराया और सभी को गिरफ्तार कराया, लेकिन देशभक्तों का हौसला नहीं टूटा और 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ। बकौल पं गोपाल पटैरिया उतनी उम्र में वह झूमने लगे और हर देश भक्त के चेहरे पर खुशी थी। सभी उस दौरान नाच रहे थे। लग रहा था कि उन्हें कोई नायाब तोहफा मिल गया हो। उम्मीद जगी की अमीर और गरीब की खाई कम होगी और शासन सत्ता यहां के नेताओं के हाथों में जाने से देश का विकास होगा। लेकिन वह दुखी हो जाते है जब इस दौर की बात की जाती है। कहते है नेता वोट और जाति पात की राजनीति कर रहे हैं, जिससे देश गर्त में जा रहा है और जो सपना आजादी के दीवानों ने देखा था वह शायद ऐसी स्थिति में पूरा नहीं हो सकता।