एक सोच ने दोगुनी कर दी किसानों की आय
जागरण संवाददाता, महोबा: एक अच्छी सोच ने काकुन गांव के किसानों की किस्मत ही बदल दी। बंजर ख्
जागरण संवाददाता, महोबा: एक अच्छी सोच ने काकुन गांव के किसानों की किस्मत ही बदल दी। बंजर खेतों में फसल लहलहाने लगी और किसानों की आय भी दोगुनी हो गई। गांव में मुहिम चलाकर 50 तालाब बनवाए। सरकार ने भी मदद की और तालाब खोदाई के लिए 50 फीसद अनुदान देना शुरू कर दिया। गांव का जलस्तर 70 फीट से बढ़कर 50 फीट तक पहुंचा तो गांव में खुशहाली लौट आई।
हम बात कर रहे हैं चरखारी के काकुन गांव निवासी धर्मेंद्र मिश्र की। अन्ना हजारे से प्रेरणा लेते हुए रालेगांव सिद्धी का अध्ययन कर उन्होंने बुंदेलखंड के किसानों की दशा सुधारने की योजना को अमली जामा पहनाया। बंजर खेतों के कुछ हिस्से में तालाब और चेक डैम से पानी रोक कर बारिश से तालाब भरने की जो परिकल्पना धर्मेंद्र मिश्र ने की, उसे साकार भी किया। वर्ष 2013 में तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज झा के सहयोग से गांव में योजना को मूर्त रूप दिया गया। इस मॉडल प्रोजेक्ट में पहले पांच किसानों से बातकर तालाब बनवाए गए। इसके बाद पूरे गांव के किसानों के खेतों में 50 तालाब खोदे गए। इसके लिए भूमि संरक्षण विभाग से प्रति तालाब 30 हजार रुपये का अनुदान भी मिला। किसानों को पर्याप्त पानी मिलने से उनकी आय दोगुनी हो गई।
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साउथ कोरिया की यूनिवर्सिटी में हैं गेस्ट फैकल्टी
धर्मेद्र मिश्र बीएचयू में पढ़ाते थे। इस समय वह साउथ कोरिया की वांग कांग डिजिटल यूनिवर्सिटी में गेस्ट फैकल्टी हैं। वहां के छात्रों को वाराणसी में रहते हुए प्रोजेक्ट वर्क भी कराते हैं। साथ ही भारतीय ऋण व मानव मूल्य विषय पर रिसर्च भी कर रहे हैं।
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कैसे बढ़ी आय
- प्रति बीघा दो की जगह छह से सात क्विंटल गेहूं होने लगा।
- मटर की फसल भी एक बीघा में एक से बढ़कर चार क्विंटल पहुंची।
- जौ की खेती में तीन की जगह आठ क्विंटल का फायदा होने लगा।
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प्रशासन ने किया सहयोग
तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज झा ने भूमि संरक्षण विभाग को योजना समझाकर काकुन को मॉडल गांव के तहत विकसित करने की जिम्मेदारी सौंपी। अधिकारियों ने ईमानदारी से काम कर योजना को मूर्त रूप दिया।
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योजना का ले सकते हैं लाभ
सरकार से नए तालाब खोदने के लिए लक्ष्य आया है। पुराने तालाबों को गहरा करने की अभी योजना नहीं आई है। नए तालाब खोदने के लिए 50 फीसद अनुदान दिया जा रहा है। ऑनलाइन आवेदन कर पहले आओ पहले पाओ के तहत योजना का लाभ लिया जा सकता है।
-सर्वेश कुमार, भूमि संरक्षण अधिकारी