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खुशनुमा माहौल में बेहतर तालीम ले रहे मासूम

अभिषेक द्विवेदी महोबा तिवारी जी आपका बच्चा किस स्कूल में पढ़ रहा है

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 05:04 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 05:04 PM (IST)
खुशनुमा माहौल में बेहतर तालीम ले रहे मासूम
खुशनुमा माहौल में बेहतर तालीम ले रहे मासूम

अभिषेक द्विवेदी, महोबा

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तिवारी जी आपका बच्चा किस स्कूल में पढ़ रहा है, हमने तो प्राइवेट स्कूल में नाम लिखाया है। मैंने भी अपने बच्चे को इंग्लिश मीडियम में भेजा है। कुछ यही चर्चाएं लोगों के बीच बच्चों की पढ़ाई को लेकर होती हैं। ज्यादातर लोग बच्चों को प्राइवेट स्कूल में ही पढ़ाना ज्यादा मुनासिब समझते हैं। सरकारी विद्यालयों की बात होने पर दिमाग में ब्लैक बोर्ड पर चाक घिसते मास्टर साहब और फटी मैट पर बैठे बच्चे यही ख्याल आता है। लेकिन शिक्षिका नीलू गुप्ता ने शिक्षा का तरीका बदल कर लोगों की सोच ही बदल दी। उन्होंने कठिन प्रयास करते हुए सरकारी स्कूल के माहौल को बदला और आधुनिक सुविधाओं से युक्त बनाया।

कुलपहाड़ तहसील के कठवरिया गांव का स्कूल जिले का पहला ऐसा स्कूल है जहां सबसे पहले ब्लैक बोर्ड नहीं बल्कि प्रोजेक्टर पर बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल में बच्चों का जन्मदिन मनाकर उन्हें गिफ्ट दिया जाता है। यह स्कूल किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं है। उनके प्रयास की अभिभावकों ने सराहना की और यहां छात्र संख्या भी बढ़ी है। कुछ यूं बदले हालात

महोबा शहर के जारीगंज निवासी नीलू गुप्ता ने सात फरवरी 2018 को कुलपहाड़ के कठवरिया स्थित नवीन प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापिका के रूप में चार्ज लिया था। यहां की तस्वीर बदहाल थी तो इसे बदलने का उन्होंने संकल्प लिया। साथी शिक्षिकाओं के साथ घर-घर जाकर अभिभावकों को बच्चों का दाखिला करने का अभियान चलाया। उनके प्रयास से तब यहां 38 बच्चे थे और अब यहां छात्र संख्या बढ़कर 61 हो गई है। हंसते खेलते पढ़ना सीख रहे

नीलू का कहना है कि सबसे पहली प्राथमिकता बच्चों को स्कूल तक लाना होना चाहिए। इसके बाद स्कूल का माहौल ऐसा तैयार करिए कि बच्चे रविवार को भी स्कूल आने को तैयार हो जाएं। कहने का मतलब बच्चों के लिए पढ़ाई भार नहीं बल्कि मन को लुभाने वाली हो। स्कूल में उनके प्रयास से खेल-खेल में शिक्षा देने का प्रयास हो रहा है। 17 हजार का खरीदा प्रोजेक्टर

प्रधानाध्यापिका नीलू गुप्ता बताती हैं कि उन्होंने मई 2018 में 17 हजार रुपये का प्रोजेक्टर स्वयं के पास से खरीदा था। विद्यालय में स्पेशल क्लास (सप्ताह में दो दिन) में बच्चों को इसी से पढ़ाया जाता है। और लॉकडाउन के पहले प्रतिदिन 50-55 बच्चे आते थे। जिस विषय को पढ़ाना होता है उससे जुड़ी सामग्री वह पेन ड्राइव में स्कूल लाती हैं और इसके बाद प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाता है। वह कहती हैं कि चलचित्र के माध्यम से बच्चे बेहतर तरीके से सीख पा रहे हैं। हर बच्चे की तैयार है कुंडली

घर में तो बच्चे जन्मदिन मनाते ही हैं, लेकिन वह जिस स्कूल में पढ़ाई कर रहे हों यदि वहां उनके जन्मदिन की पार्टी हो तो बात ही अलग है। कुछ इसी सोच के साथ शिक्षिका नीलू ने स्कूल में पढ़ने वाले हर बच्चे की कुंडली तैयार करवा रखी है। इसमें यह पता होता है कि किस बच्चे का किस दिन जन्मदिन होता है। वह कहती हैं कि इसमें जो भी खर्चा आता है वह स्कूल स्टाफ से मैनेज करती हैं। बच्चों का जन्मदिन मनाने के साथ उन्हें गिफ्ट भी देती हैं।


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