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जलसंरक्षण की विरासतों को सहेजने में हुए फेल

जागरण संवाददाता महोबा वीरभूमि में चंदेलकालीन अन्य विरासतों के साथ यहां जलसंरक्षण की अदभुत

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 05:38 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 05:38 PM (IST)
जलसंरक्षण की विरासतों को सहेजने में हुए फेल
जलसंरक्षण की विरासतों को सहेजने में हुए फेल

जागरण संवाददाता, महोबा: वीरभूमि में चंदेलकालीन अन्य विरासतों के साथ यहां जलसंरक्षण की अदभुत विरासत भी जनता को सौगात के रूप में मिली है। महोबा का कीरत सागर हो या मदनसागर या फिर चरखारी के सप्त सरोवर इनकी बनावट और वास्तुकला देखते ही बनती है। विशाल तालाब की अनदेखी का ही परिणाम है कि इतने विशाल सरोवरों के बाद भी जिले के कई हिस्सों में पूरे साल पानी का संकट बढ़ जाता है। इसे संजोने, बचाने में हमारी चूक ही हमारी परेशानियां बढ़ाती जा रही है।

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जिले में बेलासागर हो या महोबा का मदनसागर, यहां का पानी जलनिगम की ओर से जनता को पीने के लिए भी उपलब्ध कराया जाता है। इसके लिए श्रीनगर में एक प्लांट लगा हुआ है जिसमें पानी पहुंचता है और वहां फिल्टर होकर उससे टैंक भरे जाते हैं। बाद में श्रीनगर क्षेत्र के साथ महोबा शहर को भी पानी उपलब्ध कराया जाता है। पानी की कमी होने पर उर्मिल बांध से पानी लिया जाता है।

जिले के विशाल तालाब एक नजर में

महोबा में कीरतसागर, मदनसागर, कल्यान सागर, रिहलिया सागर, दसपुरा का तालाब आदि हैं। बेलाताल में बेलासागर, कबरई में बर्मा तालाब, चरखारी के सात सरोवर जो एक दूसरे अंदर-अंदर जुड़े हुए हैं। करीब तीन लाख आबादी को मिलता पानी

जिले में पीने के पानी की उपलब्धता इन्हीं विशाल सरोवरों से ही होती रही है। पांच साल पहले तक तो मदनसागर का पानी काफी बेहतर साफ था। यहां से पानी लेकर उसे श्रीनगर में लगे प्लांट में फिल्टर कराया जाता है बाद में श्रीनगर क्षेत्र व महोबा शहर की काफी आबादी का हिस्सा पीने के पानी का उपयोग कर पाता है। इधर कुछ साल से मदनसागर में पानी भर ही नहीं पाता है। इससे फिल्टर प्लांट में पानी उर्मिल बांद से लिया जाता है। कीरतसागर में भी पानी कई साल से भर नहीं पाता है। यहां आ रही समस्या

शहर की आबादी लगातार बढ़ रही है। कुछ भू-माफिया प्लाटिग कर लोगों को तालाब की जमीन ही लिख दी। हालात यह हैं कि आबादी बढ़ने से तालाब सिकुड़ने लगे हैं। घरों से निकला गंदा पानी इन्हीं में गिराया जाता है। कबरई में तो बर्मा तालाब का अस्तित्व ही खतरे में है। चरखारी के सातों सरोवरों में पानी तो है लेकिन उतना साफ नहीं रह पाता जितना दस साल पहले हुआ करता था। समय के समय इन विशाल सरोवरों को क्षति पहुंच रही है। देखरेख का भी अभाव है। तालाबों की सफाई का काम कराया जा रहा है, जो प्राचीन तालाब हैं उनके आसपास जमे अवैध कब्जों को हटाने के निर्देश पहले ही दे दिए गए थे।

- सत्येंद्र कुमार, डीएम


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