हाईवे पर जाम, पिस रहा आवाम
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जागरण संवाददाता, महोबा :
बड़े राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों पर घोषणा पत्र जारी करते हैं जो जनता से किए वादे भी बनते हैं। मगर, इन्हीं दलों से चुनाव मैदान में उतरने वाले नेताओं से जनता अपनी क्षेत्रीय समस्याओं पर वादे की भी उम्मीद करती है, जो पूरी नहीं होती है। यही वजह है कि आज भी तमाम स्थानीय मुद्दे जस के तस बने हुए हैं।
कानपुर-सागर राष्ट्रीय राजमार्ग पर महोबा से कानपुर तक बीच बीच में लगने वाले जाम में समय तो जाया होता ही है, हजारों लीटर डीजल-पेट्रोल व्यर्थ में जलता है जो पर्यावरण को भी दूषित करता है। हाईवे को कबरई क्रशर मंडी और बालू के अवैध खनन में लगे ट्रकों की नजर लग गई। ओवरलोड ट्रकों की आवाजाही ने जाम की समस्या आम कर दी। हाईवे बनने के बाद टोल शुरू हुआ। उस समय वाहनों का दबाव कम था जो आज लगभग दोगुना से अधिक हो गया है।
-प्रवेंद्र सिंह राठौर, प्रबंधक पीएनसी टोल प्लाजा लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों के आगे स्थानीय मुद्दे छोटे होते हैं, मगर इनसे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है। जिस समस्या से जनता को दिक्कत है, उसे हल करने की पहल होनी चाहिए और होगी। -जीतेंद्र सिंह सेंगर, जिलाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी
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सबसे बड़ी समस्या किसानों की है। उनकी फसलों को बचाने की है। जाम के जो प्वाइंट हैं, यदि वहां बाई पास बने और अतिक्रमण हटे तो काफी राहत मिलेगी। यदि जनता चुनती है तो राहत देने का प्रयास करूंगा।
-संजय साहू, प्रभारी सपा-बसपा गठबंधन
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राजनीति और जनता के बीच रहना है तो जनसमस्या को अपना मुद्दा बना कर उन्हें दूर करने का प्रयास करूंगा। पहले जाम के कारणों को समझना होगा, तभी समस्या दूर हो सकेगी।
-प्रीतम सिंह, प्रत्याशी कांग्रेस