दलहन खरीद में देरी सोची-समझी चाल
जागरण संवाददाता, महोबा: किसानों की उर्द और मूंग की फसल जैसे पीसीएफ अभी खरीद रहा है यह
जागरण संवाददाता, महोबा: किसानों की उर्द और मूंग की फसल जैसे पीसीएफ अभी खरीद रहा है यह सरकार के आदेश के अनुसार तय समय पर भी हो सकता था। खरीद में हुई आनाकानी साफ-साफ लापरवाही है। यह मंडी के अधिकारियों की सोची समझी साजिश नजर आती है। जो बड़े-बड़े किसान थे उन्हें तो मजबूरी में अपनी फसल औने पौने दाम में मंडी में तौल देने पड़ी। अब उनका कहना है कि इस सरकारी खरीद का क्या फायदा। उनका नुकसान तो जो होना था वह हो चुका। पीसीएफ के इस गैरजिम्मेदाराना हरकत के पीछे कई सवाल उभर रहे हैं।
बुंदेलखंड में अधिकांश किसान दलहन की फसल पर ही निर्भर रहते हैं। पूरे साल का उनका बजट इसी फसल के आधार पर तय होता है। श्रीनगर के किसान मारकंडेय के पास पचास कुंतल के करीब दलहन की फसल थी। पनवाड़ी के लालू के पास बीस कुंतल की फसल थी। यहीं के एक दर्जन ऐसे किसान हैं, जिनके पास दस कुंतल से अधिक की दलहन फसल थी। यह लोग दिसंबर माह में ही फसल को बेंच चुके हैं। सरकार ने जब घोषणा की थी कि दलहन की फसल सरकारी तय रेट पर होगी और इसके लिए पचहपरा में पीसीएफ केंद्र खोलेगा तो यह इंतजार करते रहे। पंद्रह दिन तक कोई नतीजा नहीं दिखा तो मजबूरी में महोबा मंडी जाकर 30 से 32 रुपये किलो के रेट से तौल करा दी।
किसानों से हुई मनमानी
मंडी में किसानों की फसल को खरीदने में आढ़ती और उनके दलालों ने जमकर मनमानी की। दलहन ही नहीं मंडी में जो माल पहुंच जाता है उस पर जो दाम आढ़ती लगाते हैं मजबूरी में किसानों को उसी के हिसाब से तौल करानी पड़ती है। इसमें दलालों का अपना हिस्सा तय होता है।
अब छोटे किसानों की फसलें शेष
शुरुआत में बड़े-बड़े किसानों ने अपने फसलें तो बिक्री कर दी और जो सरकारी केंद्र पर आ रहे हैं वह फुटकर छोटे-छोटे किसान हैं। कुल मिलाकर पीसीएफ अपने मकसद में कामयाब हो चुका है। अधिकारी दिखाने के लिए तो तौल करा रहे हैं लेकिन सरकार की जो मंशा थी कि किसानों को उनका लाभ मिलेगा वह वहीं हो सका है। जिला खाद्य वितरण अधिकारी रामकृष्ण पांडेय का कहना है कि पचपहरा में किसानों की दलहन फसल की तौल हो रही है, डबल कांटा लगाने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है।