बंद होने लगे क्रशर प्लांट, कर्मचारियों की छुट्टी
संवाद सूत्र, कबरई (महोबा) : क्रशर उद्योग पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पत्थरों की क
संवाद सूत्र, कबरई (महोबा) :
क्रशर उद्योग पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पत्थरों की कमी और बढ़ी रायल्टी का पत्थर कारोबार पर असर दिखना शुरू हो गया है। अधिकांश क्रशर मालिकों ने कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज प्लांट बंद कर दिए हैं। इसके कारण जिले के सैकड़ों गांवों के हजारों युवा व प्रशिक्षित कर्मी बेरोजगार हो गए हैं।
पहाड़ों के पट्टों की मियाद पूरी होने और नए पट्टे नहीं हो पाने से मौजूदा पट्टाधारकों ने रायल्टी की दरें बढ़ा दी हैं। इससे क्रशर संचालकों को कच्चा माल (बोल्डर पत्थर) मिलने में दिक्कत हो रही है। प्रशासन को ज्ञापन के बाद भी हल नहीं निकल पा रहा है। क्रशर बंद होने से संचालकों ने बिजली बिल के भुगतान में असमर्थता जता दी। दर्जनों क्रशर के बिजली कनेक्शन विभाग ने काट दिए। कई प्लांट को बिल भुगतान न करने पर कनेक्शन काटने की मौखिक चेतावनी दी गई है।
क्रशर संचालक उपेंद्र शुक्ला, मुकेश गुरुदेव, रूपेंद्र ¨सह आदि ने बताया की रायल्टी की ज्यादा दरों और प्रशासन के उत्पीड़न से बीते एक साल से क्रशर घाटे में चल रहे थे। अब रायल्टी दर में तीन गुना तक वृद्धि होने से व्यापार पूरी तरह चौपट हो चुका है। क्रशर संचालक न तो कर्मचारियों का वेतन बांटने में सक्षम हैं और न ही बिजली बिल जमा कर पाने में। समता ग्रेनाइट, रवी ग्रेनाइट, सेंट्रल ग्रेनाइट, कबरई ग्रेनाइट, मुकुंद ग्रेनाइट, बुंदेलखंड ग्रेनाइट सहित डेढ़ दर्जन क्रशरों के कनेक्शन काट दिए गए हैं। यदि शासन और प्रशासन ने शीघ्र ही इस व्यवसाय की बेहतरी के लिए कदम नहीं उठाए तो क्रशर उद्योग में विभिन्न बैंकों के लगे करोड़ों रुपये डूब सकते हैं।
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पहाड़ों की अंधाधुंध खोदाई हुई और क्रशर लगे। बिगड़ते पर्यावरण की ¨चता कर उच्चतम न्यायालय, एनजीटी, प्रदूषण विभाग ने नियमों में सख्ती की। नए पहाड़ बन नहीं रहे हैं, बहुत कम पहाड़ बचे हैं। विभाग ने पट्टा आवंटन के लिए कई बार गजट किया, मगर दरें बढ़ने से कोई लेने नहीं आ रहा है। क्रशर संचालक खुद भी पट्टा ले सकते हैं, पर कोई तैयार नहीं हो रहा है। फर्जी परिवहन प्रपत्र पर अंकुश लगने से पुराने पट्टाधारक परिवहन प्रपत्र जनरेट नहीं कर रहे हैं।-अंजनी कुमार ¨सह, खान अधिकारी।