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शहीद दिवस पर याद किए गए भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु

जागरण संवाददाता महोबा शहर के आल्हा चौक में अलग बुंदेलखंड राज्य को लेकर 266 दिनों से अनशन कर रहे अनशनकारियों ने शहीद दिवस पर शहीद भगत सिंह सुखदेव व राजगुरु को याद किया एवं उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 11:34 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 11:34 PM (IST)
शहीद दिवस पर याद किए गए भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु
शहीद दिवस पर याद किए गए भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु

जागरण संवाददाता, महोबा : शहर के आल्हा चौक में अलग बुंदेलखंड राज्य को लेकर 266 दिनों से अनशन कर रहे अनशनकारियों ने शहीद दिवस पर शहीद भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु को याद किया एवं उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

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अनशन का नेतृत्व कर रहे बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आजादी का बिगुल फूंकने वाले भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु को जेल से भागने का मौका भी मिला लेकिन उन्होंने ऐसा करने से यह कहकर मना कर दिया था कि उनकी शहादत जरूरी है। इससे देश के युवाओं को देश प्रेम की प्रेरणा मिलेगा और नया जोश मिलेगा। वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. राम सेवक चौरसिया ने कहा कि देश में बढ़ते जनाक्रोश से डरकर अंग्रेजी हुकूमत ने इन क्रांतिकारियों को निर्धारित समय से 11 घंटे पहले फांसी दे दी। इनको पहले 24 मार्च,1931 को फांसी होनी थी लेकिन डरकर प्रशासन ने एक दिन पहले 23 मार्च को फांसी दे दी। इस मौके पर अनशन स्थल पर दिव्यांग प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष यशपाल सिंह परिहार, अमरचंद विश्वकर्मा, राम प्रकाश पुरवार, राम सेवक चौरसिया, संतोष धुरिया, हरिश्चंद्र वर्मा व सुरेश सोनी सहित अन्य मौजूद रहे।

मां चंद्रिका महिला महाविद्यालय में मना शहीद दिवस : मां चंद्रिका महिला महाविद्यालय में शनिवार को शहीद दिवस के अवसर पर अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान दिवस के अवसर पर डीएलएड विभाग में प्रोफेसरों और छात्राओं ने शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रवक्ता संतोष कुमार पटैरिया ने कहा कि अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु ने असेंबली में बम फेंका था और अंग्रेजी शासन के विरुद्ध पर्चे फेंके थे। ये केवल संकेत था इससे कोई जन हानि नहीं हुई थी। इन क्रांतिकारियों के विरुद्ध न्यायालय में न्याय का नाटक किया गया और तीनों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। शहीदों को एक दिन पूर्व ही फांसी दे दी गई थी। बताया कि फांसी के पहले सरदार भगत सिंह ने लेनिन समेत कई महानुभावों की पुस्तकों का अध्ययन किया था। ये तीनों शहीद आज पूरे देश की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। प्रार्चाय डा. ज्योति सिंह ने कहा कि शहीदों ने सभी सुखों का त्याग कर स्वाधीनता के लिए बलिदान हुए। आज लोग अपना हित साधने में देश को भूलते जा रहे हैं। अंत में सभी ने दो मिनट का मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रवक्ता राजमणि, नंदकिशोर, सत्येंद्र समेत बड़ी संख्या में छात्राएं मौजूद रहीं।


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