पानी के अभाव में प्यासे हैं तालाब
तालाबों की कोख सूख चुकी है। फरेंदा तहसील क्षेत्र के गांवों में स्थित अधिकांश तालाब देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहे हैं। इन तालाबों में पशु पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए भी पानी नहीं बचा है।
महराजगंज: तालाबों की कोख सूख चुकी है। फरेंदा तहसील क्षेत्र के गांवों में स्थित अधिकांश तालाब देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहे हैं। इन तालाबों में पशु पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए भी पानी नहीं बचा है। तहसील क्षेत्र के तालाब व पोखरों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं । जिसके कारण आम जन मानस व पशु पक्षी बेहाल हैं । बिना जल के जीवन की कल्पना नहीं हो सकती है। मनुष्य ही इन स्रोतों को मिटाने पर तुला हुआ है। जिस पोखरी का सुंदरीकरण भी हुआ था, वह देखरेख के अभाव में बदहाल हैं। तालाब के पास बने गेट व पीलर जमींदोज हो गए हैं। बानगी के तौर पर बृजमनगंज विकास खंड के धरैचा गांव के तालाब के पास लगे पिलर व गेट धराशायी हो गए हैं। पोखरों से अतिक्रमण हटाने के लिए गठित टीम बेमतलब साबित हो रही है। यूं तो पोखरों का उपयोग पशुओं के नहाने, वस्त्रों की सफाई, धोबी घाट, धार्मिक अनुष्ठान को संपन्न कराने से लेकर मछुआरों की सहायता तथा गांवों में राजस्व की पूर्ति के लिए होता है, लेकिन बढ़ती जनसंख्या का बोझ व बदली मानसिकता के कारण आबादी भाग के अगल-बगल के जलाशयों का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है। लोग पुआल मिट्टी डालकर जल संग्रह क्षेत्र को समाप्त करने पर लगे हुए हैं ।