दो माह का किराया बाकी, फोन कर रहे मकान मालिक
बिना काम धंधे के घर में पडे़ रहे बभनौली के श्यामसुंदर
महराजगंज: कोरोना संक्रमण के चलते बीते तीन माह में बहुत कुछ बदला है। रोजी की तलाश में सुनहरे सपने लिए महानगरों में पहुंचे हुनरमंद लोग लॉकडाउन में प्रवासी बनकर घर लौटने को मजबूर हुए। इन्हीं में से एक नाम जिले के बभनौली निवासी श्यामसुंदर का भी है। रुपये की तंगी के बीच जीवन -यापन, किराया देने के लिए मकान मालिक का दबाव, रास्ते की जद्दोजहद, पुलिस की लाठी और लंबे सफर को पैरों से नापने की जिद। राजधानी दिल्ली से घर वापसी के दौरान ऐसे बहुत से पड़ाव आए, जिन्हें याद कर उनकी आंखें डबडबा जातीं हैं। कुछ दिन तो ऐसा भी आया कि खाने के लाले पड़ गए। 21 मई को क्वाटर से 50 किसी की दूरी नापकर किसी तरह आनंदबिहार तक पहुंचे। वहां पुलिस ने यूपी की सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी। उनके साथ अन्य लोगों को भी एक विद्यालय में रात भर रोका गया। नाम-पता लिखवाने के बाद अगले दिन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचाया गया। श्यामसुंदर 22 को ट्रेन पकड़ कर किसी तरह घर पहुंचे। मनुहार के बाद मकान मालिक ने जाने दिया घर:
पेंट पालिस का हुनर लिए श्याम सुंदर वर्ष भर गांव से दिल्ली गए थे। वहां बलजीतपुर मोहल्ले में दो हजार में एक छोटा सा कमरा लिया। लॉकडाउन में स्थिति सामान्य होने की उम्मीद लगाए दिन गुजारने लगे। लेकिन अवधि बढ़ने के साथ उनके धैर्य ने जवाब दे दिया। इस बीच दो माह का किराया भी मकान मालिक को नहीं दे सके। किसी तरह अनुनय- विनय कर उन्हें घर आने की अनुमति मिली, लेकिन किराए के लिए मकान मालिक का फोन हर रोज आ रहा है। बेटे को देख निहाल हुईं मां
लॉकडाउन में लोगों की दुर्गति का समाचार सुन पिता नरेश व मां तारा देवी का कलेजा कांप उठा था। पत्नी कौशल्या भी अपने पति की घर वापसी को लेकर चितित थीं। काफी जद्दोजहद के बाद जब श्यामसुंदर घर पहुंचे तो मां समेत सब निहाल हो उठे।