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बेफिक्र हैं किसान, खेतों में जला रहे अरमान

खेतों में फसल का डंठल जलाना प्रतिबंधित है। यह जानते हुए भी किसान बेफिक्र हैं। खेतों को अगली फसल के लिए खाली करने हेतु किसान इसमें आग लगा रहे हैं। इस आग से हर वर्ष सैकड़ों एकड़ फसल और किसानों के आशियाने राख हो रहे हैं। इसी के साथ उनके अरमान भी खाक हो रहे हैं। सदर कोतवाली थाना अंतर्गत ग्राम सभा गबड़ुआ निवासी 65 वर्षीय भगेलू यादव बीते शुक्रवार की शाम पांच बजे डंठल जलाने के दौरान आग की चपेट में आ गए और जलने से मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 12:12 AM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 12:12 AM (IST)
बेफिक्र हैं किसान, खेतों में जला रहे अरमान
बेफिक्र हैं किसान, खेतों में जला रहे अरमान

महराजगंज: खेतों में फसल का डंठल जलाना प्रतिबंधित है। यह जानते हुए भी किसान बेफिक्र हैं। खेतों को अगली फसल के लिए खाली करने हेतु किसान इसमें आग लगा रहे हैं। इस आग से हर वर्ष सैकड़ों एकड़ फसल और किसानों के आशियाने राख हो रहे हैं। इसी के साथ उनके अरमान भी खाक हो रहे हैं। सदर कोतवाली थाना अंतर्गत ग्राम सभा गबड़ुआ निवासी 65 वर्षीय भगेलू यादव बीते शुक्रवार की शाम पांच बजे डंठल जलाने के दौरान आग की चपेट में आ गए और जलने से मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। बीते एक नवंबर को कोल्हुई क्षेत्र के ग्राम सभा महदेवा बसडीला में धान की पराली जलाने से बालकिशुन, बनवारी, रामरेखा, अली हुसेन का चार एकड़ खड़ी धान की फसल जलकर राख हो गई। 31 अक्टूबर को निचलौल के स्थानीय थाना क्षेत्र के ग्राम पाली उर्फ हनुमानगंज निवासी नरेंद्र यादव व अमरेश यादव की ग्राम झरवलिया स्थित गन्ने की फसल उस समय जल गई, जब ग्राम भगवानपुर निवासी एक व्यक्ति द्वारा अपने धान की पराली फूंका जा रहा था। इन घटनाओं के बाद भी किसान सचेत नहीं हैं और धड़ल्ले से खेतों में डंठल जलाए जा रहे हैं। फुलमनहा संवाददाता के अनुसार क्षेत्र के फुलमनहा, इनायतनगर, बंजरहा सोनबरसा, नयनसर, महुलानी, बारगाहपुर, लेहड़ा सहित अनेक स्थानों पर धान की कटाई जोरों पर चल रही है। फसल काटने के बाद धान के डंठल को किसानों द्वारा खेतों में ही जलाया जा रहा है। डंठल जलने से उठ रहे धुंए से वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। सरकार द्वारा खेत में डंठल जलाने के रोक के बावजूद भी किसान डंठल जला रहे है। यहां रोक का कोई असर नहीं दिख रहा है, जिससे पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है।

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फोटो: 9 एमआरजे: 1

परिचय: रामेश्वर यादव।

बरवांखुर्द निवासी रामेश्वर यादव ने कहा कि फसल काटने के बाद किसानों द्वारा जो पराली जलाया जाता है, उससे न सिर्फ क्षेत्र की आबोहवा प्रदूषित हो रही है बल्कि खेत की उपजाऊ शक्ति क्षीण हो जाती है। इसलिए खेतों में पराली आदि नहीं जलानी चाहिए।

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परिचय: रामानंद।

बौलिया बाजार निवासी रामानंद ने कहा कि पराली जलाने से उपजाऊ भूमि पर काफी बुरा असर पड़ता हैं, वहीं आग की लपटों से अनेकों एकड़ फसल और गरीब किसानों के आशियाने जलकर राख हो रहे हैं। खेतों में डंठल जलाने से बचना चाहिए।

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परिचय: घनश्याम।

राजीव नगर निवासी घनश्याम ने कहा कि गांवों में किसान को जागरूक करने की आवश्यकता है कि यह आग कई प्रकार से उनके लिए हानिकारक है। खेतों और अरमानों दोनों को खाक कर रहे हैं। इससे हुई क्षति से उबर पाना संभव नहीं है।

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परिचय: रामसागर।

लक्ष्मीपुर एकडंगा निवासी रामसागर ने कहा कि खेतों में डंठल जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। जिससे फसल का उत्पादन प्रभावित होता है। किसान अपने खेतों में डंठल न जलाएं। डंठल जलाने वालों पर प्रशासन मुकदमा दर्ज कराने और जुर्माना वसूल करने की कार्रवाई कर रही है।


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