सेहत संग पर्यावरण पर भारी आतिशबाजी
दीपावली के पर्व पर लोग अपनी खुशी का इजहार करने के लिए लाखों करोड़ों रुपये के पटाखे छोड़ते हैं।
महराजगंज : दीपावली के पर्व पर लोग अपनी खुशी का इजहार करने के लिए लाखों, करोड़ों रुपये के पटाखे छोड़ते हैं। खतरनाक रसायन युक्त यह आतिशबाजी पर्यावरण के साथ ही सेहत को भी भारी नुकसान पहुंचाते हैं। इसके प्रयोग से बचने की जरूरत है।
---- आतिशबाजी करने वाले लोग अपनी खुशी के सामने यह भूल बैठते हैं कि इसके धुएं से कितने लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती हैं व कितनों को हार्ट अटैक का खतरा रहता है। दीपावली का अर्थ है दीप जलाने का त्योहार, रोशनी का त्योहार, जितने जला सकते हो दीप जलाओ पर तेज आवाज के पटाखे न जलाएं। पटाखे से सेहत के साथ पर्यावरण भी प्रभावित होता है।
डा. पारूल पांडेय पटाखों में कॉपर, कैडियम, लेड, मैग्नेशियम, सोडियम, जिक, नाइट्रेट और नाइट्राइट जैसे रसायन का मिश्रण होता हैं, जो पटाखों को घातक बना देते हैं। इससे 125 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि होती है। अचानक इन पटाखों के फटने से आदमी कुछ पल के लिए बहरा हो जाता है। इसलिए तेज आवाज के पटाखे से परहेज करना चाहिए।
डा. एवी त्रिपाठी
---- पटाखों की आवाज और इसके धुएं से आमजन ही नहीं घरों और अस्पतालों में मरीजों और वृद्धों को भी काफी परेशानी होती है। पालतू पशु-पक्षियों की हालत और खराब होती है। मनुष्यों की श्वास नली में रुकावट, गुर्दे में खराबी और त्वचा संबंधी बीमारियां हो जाती हैं। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक का भी खतरा रहता है। डा. हेमंत श्रीवास्तव
---- दीपावली पर पटाखे का धुआं आसमान में तैरता है और वायुमंडल के साथ ही साथ सेहत को भी प्रभावित करता है। सेहत और पर्यावरण की रक्षा के लिए आतिशबाजी से परहेज करना होगा। साथ ही लोगों को इसके प्रति जागरूक करने की जरूरत है।
डा. केपी सिंह