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पशु तस्करी का सेफ जोन ने भारत-नेपाल सीमावर्ती गांव

भारत-नेपाल सीमा पर कड़ी चौकसी के बावजूद दुधारू पशुओं को नेपाल भेजने के कारोबार पर लगाम नहीं लग पा रहा है। तस्कर बाहर के पशु बाजारों से खरीदकर लाई गई भैंस को सीमावर्ती गांवों से सरहद पार भेज कर काली कमाई करने में जुटे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 01:19 AM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 01:19 AM (IST)
पशु तस्करी का सेफ जोन ने भारत-नेपाल सीमावर्ती गांव
पशु तस्करी का सेफ जोन ने भारत-नेपाल सीमावर्ती गांव

महराजगंज: भारत-नेपाल सीमा पर कड़ी चौकसी के बावजूद दुधारू पशुओं को नेपाल भेजने के कारोबार पर लगाम नहीं लग पा रहा है। तस्कर बाहर के पशु बाजारों से खरीदकर लाई गई भैंस को सीमावर्ती गांवों से सरहद पार भेज कर काली कमाई करने में जुटे हैं। सोनौली कोतवाली थाना क्षेत्र के आधा दर्जन गांव पशु तस्करों का सुरक्षित ठिकाना बन गया है। बाहर के पशु बाजारों से पिकअप एवं ट्रक में भरकर लाई गई दुधारू भैंस को तस्कर क्षेत्र केवटलिया, शेंखफरेंदा, सोनौली, खनुआ, हरदीडाली, सुंडी, फरेंदी तिवारी, ¨झगटी, भगवानपुर आदि गांव में बनाए गए अपने सुरक्षित ठिकानों पर उतार देते हैं। वहां से गिरोह के लोग धीरे-धीरे भैंसों को सरहद पार नेपाल के भैरहवा व रुपंदेही में मंगलवार को लगने वाले पशु बाजार में पहुंचा देते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि जब दुधारू भैंस से लदी दर्जनों पिकअप गाड़ियां कोल्हुई, नौतनवा थाना क्षेत्र की सीमा से होकर सोनौली कोतवाली थाने के मुख्य गेट से आगे बढ़ती हैं, लेकिन कभी इन गाड़ियों को रोका-टोका तक नहीं जाता। यही कारण है कि परसामलिक थाना क्षेत्र के सीमावर्ती गांव पशु तस्करों के सुरक्षित ठिकाने के रूप में तब्दील होते जा रहे हैं। स्थिति यह है पशु तस्करी के इस अवैध कारोबार में लगे लोगों को भैंसों को नेपाल के बाजारों में भेजने के बाद प्रति पशु पांच से आठ हजार रुपये का भारी मुनाफा हो रहा है। जिससे क्षेत्र में यह काला कारोबार थमने की जगह दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है। पुलिस क्षेत्राधिकारी धर्मेंद्र कुमार यादव का कहना है कि पशु तस्करी का मामला संज्ञान में नहीं है। फिर भी यदि कोई भी पशु तस्करी के कार्य में संलिप्त पाया गया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।

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