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बरामदे में मरीज, हाथ में ग्लूकोज की बोतल

महराजगंज: करीब 28 लाख की आबादी वाले जिला महराजगंज के जिला संयुक्त चिकित्सालय में आए दिन बढ

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Jun 2018 11:37 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jun 2018 11:37 PM (IST)
बरामदे में मरीज, हाथ में ग्लूकोज की बोतल
बरामदे में मरीज, हाथ में ग्लूकोज की बोतल

महराजगंज: करीब 28 लाख की आबादी वाले जिला महराजगंज के जिला संयुक्त चिकित्सालय में आए दिन बढ़ रहे मरीजों की संख्या के मुताबिक संसाधन कम पड़ जा रहे हैं। आलम यह है कि इमरजेंसी वार्ड प्रत्येक दिन मरीजों से फुल रहता है। मरीजों के बढ़ने पर बरामदे में ही जैसे-तैसे चिकित्सकीय व्यवस्था चलाई जाती है। शनिवार की रात 11 बजे के समय में यहां का नजारा हैरत में डालने वाला था। बरामदे में गिरधारी वर्मा को ग्लूकोज चढ़ाई जा रही थी, लेकिन ग्लूकोज स्टैंड के अभाव में बोतल उनका बेटा पकड़ा रहा, जबकि महिला संपत्ति को बेड न मिलने के कारण वह ग्लूकोज चढ़वाते हुए हाथ में बोतल लेकर भटकती रही। यूं तो स्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रति वर्ष करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था में कोई अपेक्षित सुधार नहीं आ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित स्वास्थ्य केंद्र बदहाली का शिकार हैं, तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डाक्टर नहीं मिल रहे हैं, जिससे मरीजों को शोषण का शिकार होना पड़ता है। या तो उन्हें निजी चिकित्सकों की शरण लेनी पड़ती है या जिला मुख्यालय पर भाग कर आना पड़ता है, पर जब जिला अस्पताल भी दर्द से खुद कराह रहा हो तो मरीज आखिर जाए तो जाए कहां। कहने को तो जिला अस्पताल में सारी व्यवस्थाएं हैं, पर आम मरीजों के लिए कुछ नहीं है। जिला अस्पताल में आने के बाद मरीज तो परेशान होते हैं। तीमारदार भी बीमार हो जाते हैं। अस्पताल में पर्चा बनवाने को लंबी लाइन। फिर ओपीडी में डॉक्टर से दिखाना किसी जंग जीतने से कम नहीं है। चिकित्सक ने देख भी लिया तो वही बुखार और दर्द के लिए रटी-रटाई दवा देकर टरका दिया जाता है। अस्पताल व्यवस्था की हकीकत तो रोजाना देखने को मिलती है। शनिवार की रात पेट दर्द से परेशान जिला अस्पताल में पहुंचे गिरधारी को बरामदे में बेड में मिला, लेकिन ग्लूकोज की बोतल टांगने के लिए स्टैंड न होने पर चिकित्सक ने ड्रीप लगाकर बोतल उनके बेटे के हाथ पकड़ा दिया है। जबकि चौबे मुरेडी निवासी महिला संपत्ति को चिकित्सक ने ड्रीप लगा दिया, लेकिन बोतल तीमारदार को पकड़ा दिया। बेड न मिलने से परेशान से महिला दो घंटे तक भटकती रही। गिरधारी ने बताया कि रात में उन्हें इमरजेंसी वार्ड में बेड मिला और सुबह डिस्चार्ज कर दिया है। अब तबीयत में सुधार है। मुख्य चिकित्साधिकारी आरबी राम ने कहा कि मरीजों का अस्पताल के प्रति विश्वास बढ़ा है। इसलिए संख्या भी बढ़ रही है। इसी हिसाब से संसाधन भी बढाए जा रहे है, जिससे मरीजों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

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