गढ़ रहे सपने, जगा रहे उम्मीद
मुसहर गांवों का जिक्र छिड़ते ही मन में वहां की बदहाली को लेकर काम कर रहे हैं
विश्वदीपक त्रिपाठी, महराजगंज:
मुसहर गांवों का जिक्र छिड़ते ही मन में वहां की बदहाली, विपन्नता व आधारभूत सुविधाओं के अभाव की तस्वीर उभर कर सामने आ जाती है। शिक्षक विहीन स्कूल, बिना तार के खड़े पोल, झोपड़ी में रह रहे परिवार इन गांवों की पहचान बन चुके हैं, लेकिन हाल के दिनों में यहां की बदरंग तस्वीर में कुछ रंग भरे गए हैं। यहां जन जागरूकता आई है। लोग अपने अधिकार के प्रति सचेत हुए हैं। इस बदलाव के वाहक बने हैं जिले के चरभरिया गांव के रहने वाले दिनेश प्रसाद। दिनेश के प्रयास का प्रतिफल है कि जो योजनाएं गांव के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ देतीं थीं , उसका सौ फीसद क्रियान्वयन सुनिश्चित हुआ है। लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी मिली है।
-----------
घर- घर जा कर बच्चों का कराया दाखिला:
सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश को यह बखूबी पता था कि बिना शिक्षा के विकास संभव नहीं है। इस लिए उन्होंने सबसे पहले मुसहर बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का निर्णय लिया। चरभरिया, कनमिसवा, लेदी बहुआर आदि गांवों में घर-घर जा कर बच्चों व उनके अभिभावकों को निश्शुल्क शिक्षा, मिड-डे मील, छात्रवृत्ति आदि के बारे में बता कर स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया।
-------
योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए छेड़ी जंग:
शासन-प्रशासन द्वारा संचालित योजनाएं आम जन तक पहुंचें , इसके लिए उन्होंने सतत निगरानी रखी। यदि पात्रों तक लाभ नहीं पहुंचा तो उन्होंने ब्लाक मुख्यालय से लेकर जिला व राजधानी लखनऊ तक जाकर पेंशन, आवास, मनरेगा आदि योजनाओं का संचालन सुनिश्चित किया।
----------
मुसहर गांवों में अब बदलाव दिख रहा है। जो योजनाएं गरीबों की पहुंच से दूर थीं , अब वह आसानी से लोगों तक पहुंच रहीं हैं । जब तक मुसहर गांव पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो जाते जनजागरूकता अभियान चलता रहेगा।
दिनेश प्रसाद
सामाजिक कार्यकर्ता, महराजगंज