Move to Jagran APP

महराजगंज में किसानों को नहीं मिल रही खाद, गेहूं की बोआई प्रभावित- अधिक दाम पर खाद बेच मालामाल हो रहे दुकानदार

किसानों को खाद न मिलने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मौसम की मार से पहले धान की फसल प्रभावित हुई अब खाद मिलने में देरी के चलते गेहूं की खेती प्रभावित हो रही है।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Fri, 25 Nov 2022 03:02 PM (IST)Updated: Fri, 25 Nov 2022 03:02 PM (IST)
महराजगंज में किसानों को नहीं मिल रही खाद, गेहूं की बोआई प्रभावित- अधिक दाम पर खाद बेच मालामाल हो रहे दुकानदार
किसानों को नहीं मिल रही खाद। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

महराजगंज, जागरण संवाददाता। रवि की फसलों में खासतौर से गेहूं की बुवाई डीएपी एवं एनपीके खाद न मिलने से प्रभावित हो रही है। धान की फसल काट चुके किसान खाद के जुगाड़ में हर रोज समितियों का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें एक बोरी भी खाद नहीं मिल पा रही। क्षेत्र के विभिन्न समितियों पर पिछले दिनों खाद की एक खेप आयी थी, जिसमें नाम मात्र के किसानों को ही बड़ी मशक्कत के बाद खाद मिल सका। खाद जिस दिन समितियों पर आई, उसी दिन गोदाम खाली हो गया। स्थिति यह है खाद के लिए किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। सहायक विकास अधिकारी कृषि केदार नाथ द्विवेदी ने बताया कि खाद की अब कोई समस्या नही है। शुक्रवार तक रैक लग जाएगा और सोमवार से मंगलवार तक समितियों पर खाद उपलब्ध हो जाएगी।

loksabha election banner

क्या कहते हैं लोग

  • रामपुर बल्डीहा के अफरोज अंसारी ने बताया कि डीएपी एवं एनपीके खाद के लिए किसान परेशान हैं, लेकिन 1365 रुपये का एनपीके खाद खुले बाजार में 1500 से लेकर 1700 रुपये ब्लैक में बेचा जा रहा है। आखिर दुकानदारों के पास खाद कहां से आ रहा है। यह एक बड़ा प्रश्न है।
  • रामपुर बल्डीहा धर्मेंद्र मद्धेशिया ने बताया कि हर रोज कभी इस समिति तो कभी उस समिति पर जाकर किसान खाद के लिए चक्कर काट रहे हैं। हर रोज समिति के सचिव यही उत्तर देते हैं कि खाद अभी नहीं है। ऐसी स्थिति में किसान बोआई पिछड़ता देख परेशान हैं।
  • बसंतपुर बच्चा सिंह ने बताया कि समितियों पर एक दिन खाद आया था और एक ही दिन में बंट भी गया। कुछ ही किसानों को खाद मिला। ज्यादातर किसान आज भी खाद की प्रतीक्षा में घर बैठे हैं।
  • बसंतपुर के कमलेश चौधरी ने बताया कि खाद की दिक्कत से किसान रवि की बोआई नहीं कर पा रहे हैं। वह बोआई को लेकर चिंतित हैं, लेकिन किसानों की समस्या को लेकर अधिकारी उदासीन हो गए हैं।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.