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रोहिन पर बैराज निर्माण न होने से मुश्किल में किसान

महराजगंज: नेपाल के बुटवल स्थित पहाड़ियों से निकलकर श्यामकाट गांव के समीप से भारतीय क्षेत्र में प्रव

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 11:18 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 11:18 PM (IST)
रोहिन पर बैराज निर्माण न होने से मुश्किल में किसान
रोहिन पर बैराज निर्माण न होने से मुश्किल में किसान

महराजगंज:

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नेपाल के बुटवल स्थित पहाड़ियों से निकलकर श्यामकाट गांव के समीप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने वाली रोहिन नदी के मध्य रतनपुर के पास पक्के बैराज का निर्माण न होने से इससे निकली 17 किमी लंबी नहर सूनी पड़ी है। विगत तेरह वर्षों से नहर में स्थाई रुप से पानी की आपूर्ति न होने से नौतनवा व लक्ष्मीपुर ब्लाक के करीब पांच दर्जन से अधिक गांवों के किसानों की न केवल खेतीबारी प्रभावित हो रही , बल्कि सरकार को ¨सचाई से मिलने वाली राजस्व की भारी हानि भी उठानी पड़ रही है। बावजूद इसके शासन से जुड़े जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को किसानों की दुखती रग पर मरहम लगाने की फुर्सत तक नहीं है। बताते चलें कि नौतनवा ब्लाक मुख्यालय के रतनपुर गांव के पास रोहिन नदी पर वर्ष 1952 में बना बीयर गेट नेपाल के पहाड़ों से आए पानी के भारी दबाव के कारण 2005 में टूटकर बह गया था। इससे रोहिन हेड से निकली नहर में पानी की आपूर्ति ठप हो गई थी ।नहर में पानी की आपूर्ति बंद होता देख इसके समीप बसे गांवों के किसानों में चीख पुकार मच गई। समस्या के समाधान के लिए ¨सचाई खंड प्रथम ने टूटे बीयर गेट से करीब 50 मीटर दूर ही नदी के मध्य पक्के बैराज का निर्माण कार्य वर्ष 2008 में शुरू भी कराया। इसके लिए नदी में निर्माणाधीन बैराज के खंभे भी तैयार करा लिए गए, लेकिन उसी साल जून माह में पहाड़ों से आए पानी के दबाव से निर्माणाधीन बैराज के हिस्से पानी में बह गए तथा दो खंभे पानी की धारा में लटक गए। तभी से बैराज निर्माण का काम खटाई में पड़ गया। हालांकि किसानों व स्वयंसेवी संगठनों के प्रयास को संज्ञान में लेते हुए ¨सचाई खंड प्रथम ने नहर में पानी भेजने के वैकल्पिक व्यवस्था के साथ नदी के बीचों-बीच हर साल लाखों रुपयों की लागत से नवंबर माह के प्रथम सप्ताह अस्थाई मिट्टी के कच्चे बांध का निर्माण करवाता है, लेकिन बारिश का मौसम आने से पहले नदी में बाढ़ का खतरा देख 15 जून को अस्थाई बांध को तोड़वा दिया जाता है।इस प्रकार नहर में पानी भेजने के लिए नदी के बीच बांध बनाने व तोड़ने के नाम पर हर वर्ष ¨सचाई खंड प्रथम द्वारा लाखों रुपयों की धनराशि पानी की तरह बहा देता है। फिर भी समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो पाया है और यह समस्या हर साल किसानों के सामने जस की तस मुंह बाए खड़ी रहती है।

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इनसेट

रतनपुर व लक्ष्मीपुर ब्लाक के प्रभावित गांव रोहिन नहर से नौतनवा ब्लाक के रतनपुर, परसा पांडेय, कोहड़वल, सोनपिपरी, ¨सहपुर, गनेशपुर, रमगढ़वा, शिवपुरवा, मरचहवां, सेखुआनी, खोरिया, सगरहवां, रामनगर, दुर्गापुर, बनकटवा आदि गांवों व लक्ष्मीपुर ब्लाक के सोनबरसा, बैरवा, भैंसहिया, अड्डा बाजार, बेलभार, मुड़ली, बरगदवा, सोहट, बकैनिहा, बेलवा, मोगलहा, अमवां, बसावनपुर, तुलसीपुर आदि गांवों के किसान अपनी खेत की ¨सचाई करते हैं।

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किसानों की उपेक्षा कर रहा जिला प्रशासन

फोटो 16 एमआरजे: 29

परिचय: मनोज कुमार राना

गोरखा समाज के जिलाध्यक्ष एवं भूतपूर्व सैनिक मनोज कुमार राना ने किसानों की समस्या से अपने को जोड़ते हुए कहा कि देश के विकास में जवानों व किसानों का बहुत बड़ा योगदान होता है। ऐसे में किसानों की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो मजबूर होकर हमें आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। सरकार को किसानों की भलाई से कुछ लेना देना नहीं रह गया।

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सूखती फसल को बचाने के लिए कहां जाए किसान

फोटो: 16 एमआरजे: 30

परिचय: रामचंद्र गिरी

भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष रामचंद्र गिरी उर्फ मुन्ना बाबा ने कहा कि खेत की जोताई, खाद व मंहगे बीज की व्यवस्था करने के बाद भी समय पर ¨सचाई न होने से किसानों को उनकी मेहनत का उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रशासनिक इंतजाम न होने से सूखती फसल को बचाने के लिए आखिर किसान जाएं तो कहां जाएं। किसानों की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है।

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पानी न मिलने से चौपट हो रही खेती

फोटो: 16 एमआरजे: 31

परिचय: रमाशंकर विश्वकर्मा

समाजसेवी रमाशंकर विश्वकर्मा ने कहा कि बैराज निर्माण में देरी से न केवल समय पर किसानों के खेत को पानी नहीं मिल पा रहा बल्कि सरकार को फसल की ¨सचाई से मिलने वाली राजस्व की भारी हानि भी उठानी पड़ रही है और किसानों के बेहतर फसल उत्पादन का सपना भी टूटता जा रहा है।

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बेमतलब पड़ी नहर, सो रहे जिम्मेदार

फोटो: 16 एमआरजे: 31

परिचय: राजू मोदनवाल

समाजसेवी राजू मोदनवाल ने कहा कि किसान साल दर साल हो रही अपनी उपेक्षा से पूरी तरह से टूट गए हैं। जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के लगातार आश्वासनों के बाद भी नदी में पक्के बांध का निर्माण कार्य शुरु नहीं हो सका। स्थिति यह है कि क्षेत्र के लिए जीवन रेखा मानी जाने वाली रोहिन नहर अब पानी के अभाव में बेमतलब साबित हो रही है।


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