संकल्प की तलवार से कुपोषण पर वार
कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों। सचमुच तबीयत से उछाले गए सरकार की योजना रूपी एक पत्थर को जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शशिकला द्विवेदी ने वेग दिया तो गांव की कुपोषण की कालिख पर मानों गंगा की धारा बह गई हो।
महराजगंज:
कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों। सचमुच तबीयत से उछाले गए सरकार की योजना रूपी एक पत्थर को जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शशिकला द्विवेदी ने वेग दिया तो गांव की कुपोषण की कालिख पर मानों गंगा की धारा बह गई हो। गांव में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शशिकला द्विवेदी नजीर हैं। इनके अथक प्रयास से सिसवा का हरपुर पकड़ी गांव कुपोषण से मुक्ति की ओर बढ़ने लगा है। कभी कुपोषण की मार से तड़प रहा बचपन आज खिलखिला उठा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शशिकला 14 वर्षों से ग्रामीण क्षेत्र में अभियान चलाकर स्वस्थ समाज का नारा देते हुए लोगों की सहारा बनीं हैं । 878 आबादी वाले इस केंद्र पर दो माह पूर्व कुल पंजीकृत 70 बच्चों में से तीन बच्चे कुपोषित पाए गए थे, लेकिन उनके इस प्रयास से उन चेहरों तक भी मुस्कान आई है, जहां लोग उम्मीद का दामन छोड़ चुके थे।
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हर दरवाजे पर लगाया तुलसी और सहजन का पौधा
महराजगंज: शशिकला द्विवेदी ने हर दरवाजे पर तुलसी और सहजन का पौधा लगाने की पहल की। समाज के कल्याण के साथ-साथ इंसानियत के लिए भी वह एक खास संदेश देती हैं, जिसका असर भी दिखने लगा है। वर्तमान समय में कुपोषित तीन बच्चों अनुष्का, मुस्कान व पूजा में से मात्र पूजा आंशिक कुपोषित रह गई है।
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यदि इच्छा शक्ति हो तो कोई कार्य मुश्किल नहीं है। हम सबने मिलकर यह तय किया था कि गांव से कुपोषण की बीमारी को दूर भगाएंगे, इसमें हमने बहुत हद तक सफलता भी प्राप्त की है।
शशिकला द्विवेदी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता