पहले होती थी मुद्दों की बात, अब फूट रहे आरोपों के गुब्बारे
महराजगंज: पहले और वर्तमान के चुनाव का स्वरूप धीरे-धीरे काफी बदल गया है। यकीन नहीं होता है कि यह वही
महराजगंज: पहले और वर्तमान के चुनाव का स्वरूप धीरे-धीरे काफी बदल गया है। यकीन नहीं होता है कि यह वही हिदुस्तान है, जहां मामूली खर्च पर विधायक और सांसद निर्वाचित हुए हैं। तीन दशक पूर्व तक मुद्दों पर चुनाव लड़ा जाता रहा, लेकिन वर्तमान में विभिन्न पार्टियां मुद्दों से भटक गई है और उनके नेता एक-दूसरे पर आरोपों के गुब्बारे फोड़ रहे हैं।
यह बातें जनपद निवासी नंद किशोर त्रिपाठी (81 वर्ष) ने कही। तीन दशक पूर्व और वर्तमान की राजनीति के विषय को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि पहले राजनीति में समाज सेवा का भाव होता था। चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमाने वाले उम्मीदवार सिर्फ अपने-अपने मुद्दे को लेकर प्रचार करते थे। प्रचार के संसाधन कम होते थे। समर्थक झंडा-बैनर लेकर टोली बनाकर लोगों के घर पहुंचते थे। महिलाएं टोली बनाकर गीत गाते हुए मतदान करने जाती थी, उस समय चुनाव किसी उत्सव से कम नहीं था। गांव से लेकर शहर तक हर व्यक्ति के चेहरे पर खुशी चस्पा थी। लगता था कि वह अपना रहनुमा चुनने जा रहा है। उम्मीदवारों के बीच कोई खास मतभेद नहीं रहते थे, लेकिन अब राजनीति में काफी गिरावट आई है। उम्मीदवार मुद्दों से भटकर कुर्सी हथियाने के लिए सिर्फ एक-दूसरे पर आरोपों के कीचड़ उछाल रहे हैं। करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रहे हैं। लेकिन समाज के सभी वर्ग को इन्हीं सबके बीच से गुजरते हुए मजबूत लोकतंत्र की स्थापना के लिए रहनुमा का चयन करना होगा।
------------
(80 से अधिक उम्र के नागरिक हमारे आधुनिक गणतंत्र के उछ्वव और अब तक विकास यात्रा के साथ रहे हैं। उनके अनुभव हमारे लिए पथ प्रदर्शक हैं। दैनिक जागरण इनके दीर्घायु होने की कामना करता है।)