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अजीत ने बसाई बोनसाई की अनोखी दुनिया

घुघली क्षेत्र के जोगिया गांव निवासी अजीत ओझा ने अपने घर के आंगन, छत एवं दरवाजे पर बोनसाई पौधों की अजब अनोखी दुनिया बसा कर जैव विविधता का संरक्षण करते हुए पर्यावरण बचाने की मुहिम छेड़ रखी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 12:41 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 12:41 AM (IST)
अजीत ने बसाई बोनसाई की अनोखी दुनिया
अजीत ने बसाई बोनसाई की अनोखी दुनिया

महराजगंज: घुघली क्षेत्र के जोगिया गांव निवासी अजीत ओझा ने अपने घर के आंगन, छत एवं दरवाजे पर बोनसाई पौधों की अजब अनोखी दुनिया बसा कर जैव विविधता का संरक्षण करते हुए पर्यावरण बचाने की मुहिम छेड़ रखी है। इनमें ऐसे पौधे भी हैं जो आसानी से देखने को नहीं मिलते। करीब चार वर्ष पूर्व 10 पौधों से बोनसाई के पौधों को लगाने की शुरुआत करने वाले अजित ओझा के पास मौजूदा समय में विभिन्न प्रजातियों के दर्जनों बोनसाई पौधे हैं। इनकी देखभाल ये बच्चों की तरह करते हैं। वे सबको बोनसाई पौधे लगाने के लिए प्रेरित भी करते हैं। अजीत ओझा अपने आवास परिसर में दुर्लभ प्रजातियों के लगभग 100 से अधिक पौधे लगा रखे हैं । वह बताते हैं कि उनके पर्यावरण प्रेमी मित्र और शिक्षक नंदकिशोर गौंड से प्रेरित होकर वे चार वर्षो से बोनसाई बनाने का काम कर रहे हैं। वर्तमान में अजीत ओझा अपने छोटे भाई रानू ओझा के साथ बोनसाई की देखभाल रोज प्रात: काल में दो घंटे का वक्त पौधों को देते हैं। अजीत ओझा इन पौधों को रखने के लिए गमले घर से निकले हुए कबाड़ से जुगाड़ कर स्वयं बनाते हैं। इन गमलों को बनाने में इनकी मदद मूर्ति कला के शिक्षक और मित्र नंदकिशोर गौंड़ अपने कल्पना से तैयार करते हैं।

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बोनसाई की मुख्य प्रजातियां

घुघली महराजगंज: ओझा की बगिया में बोनसाई की मुख्य प्रजातियों में बोगन साल, पिलखन, गल्टीब्रंद, बोगनी वलिफ हैं। फाइकस के पौधे ही उनके बोनसाई बगिया के प्रमुख आकर्षण हैं। बकौल अजीत इन पौधों को बनाने के लिए बहुत ही अधिक मेहनत करनी पड़ती है। क्योंकि बोनसाई बनाने के लायक पौधे आसानी से नहीं मिलते है। घर के अंदर की बोनसाई में फिकस, हवायन अम्ब्रेला,सेरिस्सा, गारडेनीया, कमेलीया, ¨कग्सविल बाक्स्वुड और मकान के बाहर जूनिपर, पीपल, बरगद, पिलखन, चिकू, साइप्रेस, सीडर, मेपल, बर्च, बीच, ¨गक्गो, लार्च, एल्म व अन्य पौधे इनके बगिया के महत्वपूर्ण बोनसाई है।

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बोनसाई पेड़ों को लगाने की कला काफी पुरानी

फोटो: 18 एमआरजे: 3 इस संदर्भ में वनस्पति विज्ञान में पीएचडी और पर्यावरण मामलों के विशेषज्ञ डा. धनन्जय मणि कहते हैं कि बोनसाई पेड़ों को लगाने की कला काफी पुरानी है। इसका संबंध जापान से है, मगर इसकी खेती का आरम्भ चीन से हुआ। बोनसाई के लिए बीज से तैयार पौधे ठीक रहते हैं। पेड़ के विकास को हर पड़ाव पर जिस तरह चाहें वैसे नियंत्रित कर उसको मनचाहा आकर दे सकते हैं। हालांकि, बीज से पूर्ण विकसित बोनसाई पेड़ होने में पांच से दस साल का लंबा समय लग जाता है।


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