सूखी नहरें, नलकूप बेपानी, बढ़ी परेशानी
महराजगंज : केंद्र व प्रदेश सरकार किसानों पर मेहरबान पर जिम्मेदार पूरी तरह लापरवाह हैं। प्रतिफल जिले
महराजगंज : केंद्र व प्रदेश सरकार किसानों पर मेहरबान पर जिम्मेदार पूरी तरह लापरवाह हैं। प्रतिफल जिले की सभी नहरें सूख गईं और नलकूप बे-पानी हो गए। नहरों के सूखने व नलकूपों के बीमार होने का सीधा नुकसान किसानों को हो रहा है। रबी अभियान में गेहूं संग दलहन व तिलहन की अधिक पैदावार के लिए दो लाख हेक्टेअर खेत को तैयार करने में जुटे किसानों को बोआई के बाद फसल की ¨सचाई की ¨चता सताने लगी है। तराई के जनपद महराजगंज में हरित क्रांति के लिए शासन ने 1035 किलोमीटर में नहरों का संजाल बिछा रखा है पर जनपद स्तरीय अधिकारियों की लापरवाही व लालफीताशाही के कारण जिले के नौतनवा, लक्ष्मीपुर, निचलौल, मिठौरा, सिसवा, सदर, घुघली, परतावल व पनियरा ब्लाक में में स्थित नहरों के सूखने एवं फरेंदा व बृजमनगंज विकास खंड क्षेत्र के अधिकांश नलकूपों के बीमार होने के कारण हरित क्रांति को झटका लगने के आसार बढ़ते जा रहे है। जिले के 318 नलकूपों में से यांत्रिक दोष से 12, विद्युत दोष से छह नलकूप बंद पड़े हैं । हालात बताते हैं कि दिसंबर के पहले सप्ताह तक नलकूपों के ठीक होने व नहरों में पानी आने के आसार नहीं है। ¨सचाई विभाग के अधिकारियों ने नहरों की सिल्ट की सफाई होने के बाद हालांकि 10 दिसंबर को पानी छोड़ने की बात कही है पर अच्छी पैदावार के लिए फसल की ¨सचाई हेतु किसानों को नवंबर के अंतिम सप्ताह में पानी चाहिए। क्योंकि मटर, सरसों, तीसी आदि की बोआई हो चुकी है। गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए बोआई की अंतिम तारीख 22 नवंबर है। इसके बाद बोआई करने पर पैदावार प्रति हेक्टेअर चार ¨क्वटल घट जाती है। वैसे अधिकांश खेत सूख गए हैं और बिना पटके बोए नहीं जा सकते पर नहरों में पानी के अभाव से खेत को पटकना किसानों को भारी पड़ने लगा है। अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग सुरेश कुमार ने कहा कि जिले की सभी नहरों में सिल्ट जमा हो गया है। इस सिल्ट की सफाई कराई जा रही है। दिसंबर के पहले सप्ताह में सफाई का कार्य पूरा हो जाएगा और 10 दिसंबर को सभी नहरों में पानी छोड़ दिया जाएगा।