सपने हुए राख,तिनके में जिदंगी की तलाश
जली फसलों में जिदंगी ढूंढते दिखे अन्नदाताछलके आंसू
महराजगंज: पसीने से धरती को सींच कर देश का घर आंगन महकाने वाले अन्नदाता तकदीर की मार से भूखे तड़पने पर भी विवश हो जाते है। दिन रात मेहनत के बाद भी किसान अनाज घर ले जा पाएगा या नहीं। यह उसकी किस्मत पर निर्भर है। किस्मत की मार का एक वाक्या सदर कोतवाली थानाक्षेत्र के धर्मपुर भैंसी सिवान में हृदय विदारक दृश्य देखने को मिला जो लोगों को झकझोर कर रख दिया। मंगलवार को लगी भीषण आग में 30 एकड़ गेहूं की खड़ी फसल जलकर राख होने के बाद बेबस किसान राख में जिदंगी की उम्मीद तलाश रहे। सदर तहसील के धर्मपुर के कई किसानों के लिए मंगलवार का दिन अमंगल साबित हुआ। एक झटके में ही किसानों के सपने धूमिल हो गये। आग की चिगारी से कई परिवार के सामने अंधेरा छा गया। आगजनी में कितनों के सपने जल गए और कई परिवार को रोटी के लाले पड़ गए। इस आगजनी में धर्मपुर निवासी विद्यासागर का एक बीघा गेहूं जलकर राख हो गया। इनके पास इतना ही गेहूं था। रोटी के लाले पड़ गए। खेत मे जले अनाज के बीच से बुधवार की सुबह विद्यासागर की पत्नी धर्मपुर निवासी सुमित्रा बहन लक्षमीना व बहू तारा, नाती अंश, सालू, गुड़िया के साथ आग से गेहूं की जली बालियां सहेज रहे थें। अन्नदाता जली फसलों में जिदंगी की उम्मीद ढूंढ रहे थे। पल भर में आग की वीभिषिका में आंखों के सामने छह महीने की कमाई जलता देख रहमत की नतिनी जैनब फफक पड़ी। रहमत के पास भी केवल एक बीघा खेत था। जिसमें गेहूं बोएं थे। आग ने पल भर में खेत में गेहूं की फसल को खाक कर दिया। इस परिवार को रोटी के लाले पड़ गए। सभी लोग जैनब को समझा रहे थे। उसके आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। बुधवार की सुबह उसका भी परिवार जली फसलों में जीवन ढूंढ रहा था। अन्नदाताओं के इस बेबस हालात को देख लोगों की आंखे नम हो गयी। मौसम और किस्मत की मार झेलते किसान की तकदीर को देख आमजन भी गमगीन हो उठे।