नहाय खाय से आज शुरू होगा छठ महापर्व
महराजगंज: दीपोत्सव महापर्व के बाद घर से घाट तक छठ पूजा का माहौल बनने लगा है। घाटों की सफाई के स
महराजगंज:
दीपोत्सव महापर्व के बाद घर से घाट तक छठ पूजा का माहौल बनने लगा है। घाटों की सफाई के साथ प्रकाश की उत्तम व्यवस्था कराई जा रही है। घरों व बाजारों में छठ मइया के गीत गूंजने लगे हैं। पहिले पहिले हम कइलीं छठ मइया बरत तोहार, करिह क्षमा छठि मइया भूल चूक गलती हमार जैसे पारंपरिक गीत गुनगुनाते हुए महिलाएं छठ मइया का प्रसाद तैयार करने में जुट गईं हैं। रविवार को नहाय खाय के साथ छठ पूजा पर्व शुरू हो जाएगा। घरों में प्रसाद की सामग्री को धुल कर सुखाने व साफ करने का कार्य अंतिम चरण में है। नहाय खाय के साथ व्रत शुरू होने वाले दिन बिना मसाले के कद्दू की सब्जी का सेवन किया जाएगा। पहले दिन महिलाएं सिर धोकर स्नान करेंगी और नाखून काट कर शरीर को पूरी तरह स्वच्छ बनाएंगी। भोजन भी इतना कम रहेगा कि शरीर पूरी तरह से स्वच्छ रहे। छठ पूजा के दूसरे दिन सोमवार को खरना होगा। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी। शाम को सूखी रोटी व गुड़ की खीर व केला अíपत कर छठ मइया की पूजा प्रारंभ होगी। तीन दिन तक व्रती महिलाएं कठिन साधना करेंगी। विस्तर त्याग कर चटाई पर साएंगी। व्रती महिलाएं उसी कमरे में साएंगी जहां अर्घ्य के पकवान बनाए जाते हैं। आगामी 13 नवंबर दिन मंगलवार को तीसरे दिन महिलाएं सायंकालीन अर्घ्य देंगी। व्रत करने वाले अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देंगे। बुधवार को व्रती महिलाएं व पुरुष भोर में उसी जगह एकत्र होंगे जहां अस्त होते सूर्य के लिए पूजन किया था। महिलाएं उगते सूर्य को अर्घ्य देने से पहले गंगा जल का आचमन करेंगी। छठ पूजा को खुशनुमा बनाने के लिए बाजार सज गए हैं और श्रद्धालु पूजा के लिए जरूरी सामग्री खरीदने में जुट गए हैं। हर तरफ हर्षोल्लास के बीच छठ पूजा की तैयारी धूमधाम से चल रही है। प्रशासन भी पर्व के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने में जुटा हुहा है।
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पूजन मुहुर्त
पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार 11 नवंबर को नहाय खाय के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। 13 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन त्रैपुष्कर योग रहेगा। इस संयोग से श्रद्धालुओं पर सूर्यदेव की विशेष कृपा होगी।
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छह महापर्व की तिथि
-11 नवंबर-नहाय खाय
-12 नवंबर-खरना
-13 नवंबर-सायंकालीन अर्घ्य-समय शाम 5.26 बजे
-14 नवंबर-प्रांत:कालीन अर्घ्य-सूर्योदय 6.32 बजे
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छह पूजा की मान्यता
छठ पूजा की कई मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि राजा प्रियंवद व रानी मालिनी को कोई संतान नहीं थी। मर्हिष कश्यप के कहने पर राजा-रानी ने यज्ञ किया, जिससे पुत्र की प्राप्ति हुई। दुर्भाग्य से नवजात मरा हुआ पैदा हुआ। राजा-रानी प्राण त्याग के लिए आतुर हुए तो ब्रह्मा की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई। उन्होंने राजा से कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से पैदा हुई हों। इसलिए षष्ठी कहलाती हूं। छठ की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होगी। राजा-रानी ने छठ पूजा की और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई, तभी से छठ पूजा महापर्व का शुभारंभ हुआ।