तकरोही अग्निकांड: जान जोखिम में डालकर आग में कूदे युवा, हाथ आए केवल शव
राजधानी के तकरोही क्षेत्र में भीषण अग्निकांड में पांच लोगों की मौत धमाकों के साथ लगी थी घर में आग।
लखनऊ, जेएनएन। आग काबू में आने लगी थी, लेकिन बुझी नहीं थी। दमकल कर्मी भी अभी सुमित के मकान में दाखिल होने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। फायर ब्रिगेड से पहले आए पुलिस के जवान भी दूरी बनाए खड़े थे। इस स्थिति में मोहल्ले के तीन युवकों ने हिम्मत दिखाई। संतोष, अरुण और सिविल डिफेंस के मोहम्मद हबीब मुख्य गेट तोड़ने लगे। उनकी हिम्मत को सराहते हुए अन्य युवक भी साथ जुटे तो गेट टूट गया।
इसी गेट से दमकल कर्मी भीतर दाखिल हुए। सर्च ऑपरेशन के दौरान पहले तल पर पुनीत बेसुध मिला, जिसे बाहर निकालकर एंबुलेंस के जरिए लोहिया अस्पताल भेजा गया। इसके बाद सात माह की बेटी संग जूली को दमकल कर्मी बाहर लेकर निकले। मासूम शक्ति को एंबुलेंस से, जबकि जूली को पुलिस जीप से अस्पताल भेजा गया। इस बीच ड्राइंग रूम से सुमित को भी दमकलकर्मी बाहर निकालकर ले आए। उसे भी पुलिस जीप से अस्पताल ले जाया गया। करीब छह घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद वंदना को अपने कमरे के बाहर गोदाम के पास पड़ी मिली, जिसे बाहर लाया गया। लोहिया अस्पताल में डॉक्टरों ने पांचों को मृत घोषित कर दिया।
अवैध रूप से बना रखा था गोदाम: सीएफओ के मुताबिक गृह स्वामी ने बिना अग्नि सुरक्षा उपकरण के अवैध रूप से गोदाम बना रखा था। गोदाम में न तो कहीं वेंटीलेशन की जगह थी और न ही सुरक्षा के कोई बंदोबस्त थे। गोदाम की फायर एनओसी भी नहीं थी। रिपोर्ट बनाकर डीएम कार्यालय भेजी जाएगी।
धमाकों से टूटी लोगों की नींद
रात करीब 12:30 बजे बिजली कटी थी। कुछ देर के भीतर दो बार बिजली आई और तुरंत गुल भी हो गई। अबकी बिजली आई तो तड़तड़ाहट के साथ धमाके सुनाई दिए। मैं कमरे से निकला तो बाहर का दृश्य देखकर होश उड़ गए। मेरी तरह ही कई लोग घर से बाहर आ चुके थे। लपटें सुमित के मकान से उठ रही थीं। पड़ोसी मनीष यह कहते हुए आशंका जताने लगे कि बिजली की आवाजाही के चलते हुए शार्ट सर्किट से ही घर में आग लगी होगी। उन्होंने बताया कि शोर मचाने पर घरवालों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मकान में रखे गैस चूल्हे, पाइप, गत्ते और अन्य सामान की वजह से आग तेजी से फैल रही थी। हम लोगों ने सुमित व अन्य परिवारीजन को जगाने के लिए घर पर पत्थर भी चलाए, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इस बीच अग्निशमन विभाग को आग की सूचना दी, लेकिन इंदिरानगर फायर सर्विस सूचना के करीब एक घंटे बाद वहां पहुंची। तीर्थराज सिंह के मुताबिक दमकल के कर्मचारियों ने अगर तत्परता दिखाई होती तो शायद उनका परिवार बच जाता।