शास्त्रीय नृत्य के शहर में युवाओं के बीच हिप-हॉप बैटल
जीत के लिए प्रोफेशनल डांसर्स के बीच होती जंग।
लखनऊ[दुर्गा शर्मा]। ये डांस की जंग है। नौसिखियों का इसमें कोई काम नहीं है। जी-तोड़ मेहनत ही फतह का एकमात्र उपाय है। जो जीता वही 'बैटल किंग' और 'क्वीन' होता है। आम प्रतियोगिताओं से इतर 'डांस बैटल्स' का अलग ही रोमांच होता है। शास्त्रीय नृत्य के शहर में युवाओं के बीच 'हिप-हॉप' की अलग संस्कृति का चलन बढ़ रहा है। जीत के लिए प्रोफेशनल डांसर्स के बीच जंग होती है। बैटल्स जीत चुके डांस के धुरंधर ही इसकेजज होते हैं। जीतने वाले को नकद राशि इनाम में मिलती है। शहर में लेकर आए डांस का नया रंग:
गोमती नगर निवासी अमित बृजवाल आठ साल से हिप-हॉप कर रहे है। इन्होंने 2010 में दोस्तों के साथ मिलकर 'सिक्स वन ओ हॉपर्स' डांस गु्रप बनाया। निराला नगर में 2013 में पहली बार डांस बैटल कराया। अब तक दस डांस बैटल्स करा चुके हैं। 'बैटल ऑफ द स्ट्रीट', 'युद्ध बैटल' और 'स्ट्रेट फ्रॉम द स्ट्रीट' डांस बैटल्स में विजेता रहे। वहीं 'टेकन' डांस बैटल में लॉकिंग कैटेगरी में सेमी फाइनलिस्ट और बेंग्लुरु में 'रेट्रो रैली' की लॉकिंग कैटेगरी में टॉप-8 तक पहुंचे। अमित बताते हैं, हिप-हॉप फॉरेन का कल्चर है। धीरे-धीरे यह हर जगह फैलता गया। 2009-10 के बीच इसका चलन और बढ़ा। एक बार दिल्ली जाना हुआ था। वहां डांस बैटल देखा। वहीं से अपने शहर में इसे शुरू करने का विचार आया। पहले तो संख्या कम होती थी पर अब रजिस्ट्रेशन की भरमार रहती है।
इलेक्ट्रो डांस मास्टर :
सात साल से हिप हॉप कर रहे निराला नगर निवासी अविनाश थापा तीन साल से 'इलेक्ट्रो डांस' कर रहे हैं। शहर में 2013 में हुए पहले डांस बैटल में टॉप-8 तक पहुंचे थे। 2017 में दिल्ली में 'इलेक्ट्रो बैटल' भी जीता। गाजीपुर में भी बैटल में जीत हासिल की। जबलपुर समेत अन्य जगहों पर हुए डांस बैटल को जज भी किया। अविनाश कहते हैं, टीवी ने डांस के पैशन को और बढ़ाया। फ्री स्टाइल डांसिंग में क्रिएटिविटी और स्टेमिना चाहिए होता है। इसके लिए रोजाना जी-तोड़ प्रैक्टिस करते हैं। बैटल्स में प्रतिभागियों के अलावा दर्शकों खासकर डांस सीखने वालों को बहुत कुछ मिल जाता है। खुद को साबित करने का प्लेटफॉर्म :
आठ साल से डांस कर रहे अलीगंज के अचल भटनागर कई इंटरनेशनल वर्कशॉप कर चुके हैं। 2013 में 'बैटल ऑफ कल्चर' के सेमीफाइनल तक पहुंचे। 2016 में 'बॉर्न टू डांस', 2017 में 'स्ट्रेट फ्रॉम द स्ट्रीट', 'महाभारत' और 'बैटल ऑफ द कल्चर' जीते। 2018 में 'कानपुर फंक सर्किल' बैटल अपने नाम किया। 2018 में ही दिल्ली में 'स्किल्स टू किल', वाराणसी में 'हिप-हॉप लोकल जैम' और लखनऊ में 'बैटल ऑफ द कल्चर' जीते। 'टेकन' डांस बैटल में जज रहे। अचल कहते हैं, डांस बैटल बढि़या टैलेंट के बीच खुद को साबित करने का अच्छा प्लेटफॉर्म है।
50 से अधिक डांस बैटल्स :
50 से अधिक डांस बैटल्स में हिस्सा ले चुके कैंट निवासी जतिन चौहान के पिता को डांसिंग का शौक रहा है। बड़े भाई धु्रव चौहान भी अच्छे डांसर हैं। भाई की प्रेरणा और पिता के शौक को जतिन अपना कॅरियर बनाने के लिए रोजाना पसीना बहाते हैं। जतिन बताते हैं, जबलपुर, दिल्ली, गुडगांव, गाजीपुर और बनारस समेत तमाम जगहों पर डांस बैटल्स में हिस्सा लिया है। 2016 में दिल्ली में हुए डांस बैटल को जीता। अब खुद कराते हैं बैटल :
आलमबाग के सोमदत्त गौतम ने 2015 में 'बॉर्न टू डांस', 2016 में 'फाइनल जैम डाउन' और 2017 में 'फंक इन ट्रंक डांस बैटल' जीते हैं। अब वह खुद डांस बैटल कराते हैं। आठ साल से डांस कर रहे सोमदत्त गौतम ने हाल ही में अपना डांस इंस्टीट्यूट भी शुरू किया है। 2013 में शहर में हुए पहले डांस बैटल के टॉप आठ तक पहुंचे थे। उसके बाद 2015 में हजरतगंज में खुद का डांस बैटल 'फंक इन द ट्रंक' कराया। इसके अब तक छह सीजन हो चुके हैं। 13 मई 2018 को 'टेकन' डांस बैटल भी कराई। सोमदत्त ने बताया कि दो महीने बाद एक और डांस बैटल कराने की तैयारी है।
चोट से जीत के बाद फिर उतरेंगे मैदान में : चार साल की उम्र से डांस कर रहीं जानकीपुरम की शिप्रा गौतम फिलहाल दुर्घटना से जंग लड़ रही हैं। शिप्रा बताती हैं, 'बैटल ऑफ कल्चर' में पहली बार हिस्सा लिया था। शोकेस में आउट हो गई थी। अगले साल दोगुने जोश से 'द लास्ट नवाब' डांस बैटल में हिस्सा लिया। इसमें शोकेस और पहले राउंड में सेलेक्ट हुई पर दूसरे में हार गई। उसके बाद 'फंक इन द ट्रंक' डांस बैटल में फाइनल तक पहुंची। एक महीने पहले सड़क दुर्घटना में घुटना फ्रैक्चर हो गया। साथ ही चेहरे पर भी चोटें आई। चोट से जंग के बाद डांस बैटल में फिर उतरने की तैयारी होगी।
ये जंग नहीं आसान : सात साल से डांस सीख रहीं कृष्णा नगर निवासी शुभांगी मेहता बैटल में इंट्री के लिए जूझ रही हैं। कहती हैं, डांस बैटल का अलग ही लेवल होता है। दोस्तों से इसके बारे में पता चला था तो हिस्सा लेने पहुंची। वहां एक से बढ़कर टैलेंट देखकर लगा कि अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है। शुभांगी कहती हैं, इस बार सेलेक्ट नहीं हो पाई पर अगली बार और तैयारी से हिस्सा लूंगी।
हिप-हॉप कल्चर :
1970 के दौरान अमेरिका के न्यूयॉर्क में जन्मे हिप-हॉप कल्चर का नेचर फ्री स्टाइल है। इस वजह से इसमें कई नृत्य शैलियां शामिल हैं। फ्रीस्टाइलिंग, बैटल्स और साइफर्स ये तीनों हिप-हॉप के मेन फॉर्म हैं। इसमें पेशेवर डांसर बी बोइंग, ब्रेकिंग, लॉकिंग और पॉपिंग जैसी डांस शैलियों में बैटल करते हैं। साथ ही इलेक्ट्रो, फंक स्टाइल्स, रनिंग मैन, कैबेज पैच जैसे डांस भी हिप-हॉप कल्चर में विकसित हुए हैं।