UP: छोटी बहन का बड़ी बहन को जिंदगी का तोहफा, बोन मैरो प्रत्यारोपण से 17 वर्षीय किशोरी को मिला नया जीवन
यूपी के फतेहपुर में चार साल की बहन ने बड़ी बहन को जिंदगी का तोहफा दिया है। 17 वर्षीय किशोरी अप्लास्टिक एनीमिया बीमारी से पीड़ित थी। चार वर्षीय बहन के स्टेम सेल से बड़ी बहन का बोन मैरो प्रत्यारोपण मेदांता अस्पताल के डा. अंशुल गुप्ता व उनकी टीम ने किया।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। फतेहपुर के खेलगांव निवासी 17 वर्षीय किशोरी को दो महीने पहले अप्लास्टिक एनीमिया बीमारी का पता चला। कई संस्थानों में इलाज नहीं मिला। अंत में मेदांता अस्पताल के चिकित्सकों ने चार वर्षीय बहन के स्टेम सेल से बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर किशोरी को नया जीवन दिया है। संस्थान का दावा है कि निजी अस्पताल में मेदांता ही अब तक का ऐसा अस्पताल है जहां पर बोन मैरो प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू हुई है।
तेज बुखार और निमोनिया से ग्रस्त थी बड़ी बहन
- मेदांता अस्पताल के हिमेटो-आंकोलाजी एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट, कैंसर इंस्टिट्यूट के निदेशक डा. अंशुल गुप्ता ने बताया कि किशोरी पिछले माह उनके पास तेज बुखार और निमोनिया से ग्रस्त भर्ती हुई।
- उस समय उसका हीमोग्लोबिन चार और श्वेत रक्त कोशिकाएं (डब्ल्यूबीसी) एक हजार से भी कम था। सामान्य तौर पर इसे चार से चार से पांच हजार तक होना चाहिए था।
- उसे रोजाना रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ रही थी। जांच के बाद किशोरी में बोन मैरो ट्रांसप्लांट का निर्णय लिया गया। इलाज प्रक्रिया के दौरान लगभग 25 दिनों तक उसे भर्ती रखा गया।
- डा. अंशुल ने बताया कि किशोरी की चार वर्षीय छोटी बहन का बोन मैरो पूरी तरह से मैच कर रहा था। ऐसे में बच्ची से बोन मैरो यानी स्टेम सेल को निकाला गया।
- मरीज में नौ दिन की कीमोथेरेपी के जरिए खराब बोन मैरो को नष्ट कर स्वस्थ बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया । 12वें दिन किशोरी को स्वस्थ डिस्चार्ज कर दिया गया। अब वह नियमित फालोअप में हैं।
अप्लास्टिक एनीमिया एक दुर्लभ और खून की कमी से जुड़ी गंभीर बीमारी
डा. अंशुल गुप्ता ने बताया कि अप्लास्टिक एनीमिया किसी भी उम्र में होने वाली एक दुर्लभ और खून की कमी से जुड़ी गंभीर बीमारी है। इस बीमारी में शरीर में रक्त कोशिकाओं का निर्माण कम हो जाता है। इससे मरीज बेहद थका हुआ महसूस करता है। साथ ही मरीज को अनियंत्रित रक्तस्राव होने लगता है। नई रक्त कोशिकाएं न बनने से शरीर में संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के गंगा बेल्ट में अप्लास्टिक एनीमिया की बीमारी अधिक देखी जा रही है। विभाग की हर ओपीडी में दो से तीन नए अप्लास्टिक एनीमिया के मरीज पाए जा रहे हैं।