Azam Khan को मात्र 100 रुपये की लीज पर मिले शोध संस्थान को वापस लेगी योगी सरकार, कैबिनेट में आएगा प्रस्ताव
UP Latest News रामपुर में सरकारी शोध संस्थान को अपने निजी जौहर अली ट्रस्ट में शामिल करने के लिए आजम खां की ऐसे नीयत खराब हुई कि उन्होंने इसके लिए कई नियमों को ही बदल दिया था। इस शोध संस्थान को लेने के लिए इसके उद्देश्य तक बदल दिए थे।
UP Latest News: लखनऊ, राज्य ब्यूरो। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी सरकार के समय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहते मो. आजम खां (Azam Khan) को रामपुर में मिले मौलाना मोहम्मद अली जौहर शोध संस्थान (Maulana Mohammad Ali Jauhar Research Institute) को योगी सरकार (Yogi Government) वापस लेने के लिए कैबिनेट की मुहर लगवाएगी। विभाग इसका प्रस्ताव तैयार करने में जुटा हुआ है। मात्र 100 रुपये की लीज पर 33 वर्षों के लिए यह सरकारी शोध संस्थान आजम के निजी जौहर अली ट्रस्ट को दे दिया गया था। इसकी लीज 33-33 वर्षों के लिए दो बार बढ़ाने के भी प्रावधान थे।
इस सरकारी शोध संस्थान को अपने निजी ट्रस्ट में शामिल करने के लिए आजम की नीयत ऐसे खराब हुई थी कि उन्होंने इसके लिए कई नियमों को ही बदल दिया था। उस समय विभाग के प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी ने इस पर आपत्ति जताई और फाइल में लंबी-चौड़ी नोटिंग लिख दी।
आजम खां का दबाव इतना था कि बाद में देवेश लंबी छुट्टी पर चले गए। इसके बाद आजम ने यहां अपने मनपसंद अफसर एसपी सिंह को सचिव पद पर तैनात कराकर यह शोध संस्थान ले लिया था। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहते आजम ने तो इस शोध संस्थान को लेने के लिए इसके उद्देश्य तक बदल दिए थे।
शोध संस्थान के उद्देश्यों में 'उर्दू, अरबी व फारसी विषयों में उच्च शिक्षा की व्यवस्था करना एवं शोध कार्य कराना था', लेकिन आजम को तो यहां रामपुर पब्लिक स्कूल खोलना था, इसलिए उन्होंने शोध संस्थान के उद्देश्य में उच्च शिक्षा के स्थान पर सभी विषयों में प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा जुड़वा दिया। लीज पर लेने के बाद आजम ने यहां पब्लिक स्कूल खोल दिया था।
आजम खां ने इस सरकारी शोध संस्थान को अपने उस ट्रस्ट को दिलवाया था जिसके वे खुद आजीवन अध्यक्ष हैं। यही ट्रस्ट जौहर विश्वविद्यालय का संचालन करता है। प्रदेश में जब योगी सरकार आई तो उसका ध्यान इस अनियमितता पर गया और उसने वर्ष 2018 में इसकी एसआइटी जांच करवाई।
एसआइटी को इसमें पद के दुरुपयोग के कई साक्ष्य मिले। एसआइटी ने 31 जनवरी 2020 को अपनी जांच रिपोर्ट में इस शोध संस्थान की की लीज रद कर वापस लेने की संस्तुति की थी। अब सरकार इसी शोध संस्थान को कैबिनेट से निर्णय कराकर वापस लेने जा रही है।
चूंकि अखिलेश सरकार में यह शोध संस्थान कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए आजम को दिया गया था इसलिए योगी सरकार भी कैबिनेट से फैसला कराकर इसे वापस लेगी ताकि कोर्ट में यह मामला न फंस जाए।
100 रुपये की लीज पर क्या-क्या मिला था
- प्रशासनिक भवन के 10 कमरे
- प्रेक्षागृह के साथ 10 कमरे
- हास्टल के 109 कमरे
- टाइप-4 आवास के 15 सेट
- टाइप-3 आवास के 24 सेट
- टाइप-2 आवास के 24 सेट
- टाइप-1 आवास के 12 कमरे
- कुल निर्मित क्षेत्रफल 4252.07 वर्ग मीटर
- ओपेन एरिया 8887.93 वर्ग मीटर