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UP Cabinet Decision: एमएसएमई नीति-2022 के तहत बुंदेलखंड और पूर्वांचल में इकाई लगाने पर सबसे अधिक अनुदान देगी योगी सरकार

योगी आद‍ित्‍यनाथ कैब‍िनेट ने एमएसएमई नीति-2022 के तहत फैसला ल‍िया है क‍ि अब एमएसएमई इकाइयों के लिए ग्राम सभा की जमीन आवंटित होगी। योगी सरकार प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डालर बनाने का लक्ष्य तय करते हुए न‍िवेश को बढ़ावा देने में जुटी है।

By Prabhapunj MishraEdited By: Published: Wed, 28 Sep 2022 09:08 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 09:08 AM (IST)
UP Cabinet Decision: एमएसएमई नीति-2022 के तहत बुंदेलखंड और पूर्वांचल में इकाई लगाने पर सबसे अधिक अनुदान देगी योगी सरकार
योगी सरकार का फैसला एमएसएमई इकाइयों के लिए ग्राम सभा की जमीन होगी आवंटित

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। सबसे अधिक 96 लाख सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) वाले प्रदेश में नई इकाइयों की स्थापना के लिए संभावनाओं की नई जमीन तैयार की गई है। पिछली नीति की खामियों को दूर कर पांच वर्ष में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डालर बनाने का लक्ष्य तय करते हुए सरकार ने एमएसएमई नीति-2022 बनाई है।

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सरकार ने खोला एमएसएमई के ल‍िए खजाना

  • एमएसएमई नीति-2022 में लैंडबैंक की बड़ी समस्या को हल करते हुए तय किया गया है कि ग्राम सभा की पांच एकड़ या उससे अधिक भूमि पुनर्ग्रहीत कर उद्योग निदेशालय को निश्शुल्क स्थानांतरित की जाएगी।
  • उस पर भूखंड विकसित कर विभाग डीएम सर्किल रेट पर एमएसएमई इकाइयों की स्थापना के लिए आवंटित करेगा। कैबिनेट द्वारा मंगलवार को स्वीकृत की गई नई एमएसएमई नीति में पुरानी नीति की वित्तीय बाधाओं को भी दूर किया गया है।
  • दिसम्बर, 2017 में लागू हुई एमएसएमई नीति में इकाइयों को देय लाभ नेट जीएसटी से लिंक्ड थे, जिसके कारण अधिकतर सूक्ष्म इकाइयां और निर्यात इकाइयां इस नीति का लाभ नहीं उठा सकीं।
  • इसके अलावा एमएसएमई नीति-2017 और इंडेक्स इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (आइआइपी-2017) में लघु एवं मध्यम इकाइयों को शामिल किए जाने और दोनों नीतियों में लाभ की व्यवस्था में अंतर होने से उद्यमियों में असमंजस बना रहा।
  • अब विभिन्न नीतियों में सामंजस्य बनाते हुए लाभ देने की प्रक्रिया को सरल किया गया है। इस बार भी सरकार ने औद्योगिक विकास की क्षेत्रीय असमानता काे दूर करने की व्यवस्था नीति में शामिल रखी है।
  • नई नीति के तहत स्थापित होने वाले नए एमएसएमई उद्यमों को 10 से 25 प्रतिशत तक पूंजीगत अनुदान दिया जाएगा।
  • बुंदेलखंड और पूर्वांचल में इकाई लगाने पर अनुदान की सीमा क्रमशः 25 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 15 प्रतिशत होगी। इसी प्रकार मध्यांचल और पश्चिमांचल में सीमा क्रमशः 20 प्रतिशत, 15 प्रतिशत और 10 प्रतिशत होगी।
  • अनुसूचित जाति-जनजाति एवं महिला उद्यमियों को दो प्रतिशत अधिक अनुदान मिलेगा। अनुदान की अधिकतम सीमा चार करोड़ रुपये प्रति इकाई होगी।
  • वहीं, नए सूक्ष्म उद्योग के लिए पूंजीगत ब्याज अनुदान के तहत ऋण पर वार्षिक ब्याज का 50 प्रतिशत, अधिकतम 25 लाख रुपये प्रति इकाई पांच वर्षों के लिए दिया जाएगा।
  • अनुसूचित जाति-जनजाति एवं महिला उद्यमियों को 60 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा। विभागीय मंत्री राकेश सचान का दावा है कि ऐसी नीति पहली बार बनी है, जो प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर को और मजबूत करेगी।

नई नीति में यह भी सुविधा

एमएसएमई इकाइयों को अधिक से अधिक स्रोतों से क्रेडिट उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्टाक एक्सचेंज पर लिस्टिंग के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। ऐसी सभी इकाइयों को लिस्टिंग के व्यय का 20 प्रतिशत (अधिकतम पांच लाख रुपये) की प्रतिपूर्ति की जाएगी।

दस एकड़ से अधिक के एसएसएमई पार्क स्थापित करने के लिए भूमि खरीद पर 100 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क में छूट और लिए गए ऋण पर सात वर्षों तक 50 प्रतिशत ब्याज अनुदान (अधिकतम दो करोड़ रुपये) उपलब्ध कराया जाएगा।

विभाग के औद्योगिक आस्थानों में भूखंडों/शेडों के आवंटन की प्रक्रिया को आनलाइन किया जाएगा।

एक्सप्रेसवे के दोनों ओर पांच किलोमीटर के दायरे में औद्योगिक आस्थानों का विकास कर एमएसएमई इकाइयों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

औद्योगिक क्लस्टरों में कामन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट के लिए अधिकतम 10 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी।

विभिन्न गुणवत्ता मानक जैसे जीरो इफेक्ट जीरो डिफेक्ट (जेडईडी), डब्ल्यूएचओ जीएमपी, हालमार्क आदि प्राप्त करने के लिए कुल लागत का 75 प्रतिशत (अधिकतम पांच लाख रुपये) की वित्तीय सहायता दी जाएगी।

भौगोलिक संकेतक (जीआइ रजिस्ट्रेशन)/पेटेंट आदि कराने के लिए दो लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता मिलेगी।

क्लीन एंड ग्रीन तकनीक को अपनाने के लिए एमएसएमई इकाइयों को अधिकतम 20 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी।

उद्यमिता विकास संस्थान को सेंटर आफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जाएगा।


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