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योगी सरकार 58 हजार बीसी सखियों को देगी दो-दो साड़ियों का गिफ्ट, निफ्ट रायबरेली करेगा डिजाइन

बीसी-सखी के रूप में काम करने वाली 58000 महिलाओं को दो-दो साड़ियां देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही मंजूरी दे दी है और साड़ियों की बुनाई का काम प्रगति पर है। उत्तर प्रदेश में हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने यह योजना बनाई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 11:39 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 06:20 AM (IST)
योगी सरकार 58 हजार बीसी सखियों को देगी दो-दो साड़ियों का गिफ्ट, निफ्ट रायबरेली करेगा डिजाइन
उत्तर प्रदेश सरकार खरीदेगी साड़ियां, वर्दी के रूप में पहनेंगी महिलाएं।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार 58 हजार बीसी सखियों को बड़ा उपहार देने जा रही है। हर सखी को दो-दो डिजाइनर साड़ियां मिलेंगी। अहम बात यह है कि नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नोलाजी यानी निफ्ट रायबरेली इन साड़ियों को डिजाइन करेगा। इस कदम से महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ ही राज्य में हथकरघा बुनकरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

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उत्तर प्रदेश में हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार बीसी सखी योजना के तहत कार्य कर रही महिलाओं को वर्दी के रूप में दो हैंडलूम साड़ियां उपलब्ध कराएगी। इसके लिए सरकार हैंडलूम बुनकरों की ओर से बनाई व निफ्ट रायबरेली की ओर से डिजाइन की गई एक लाख से अधिक साड़ियों को खरीदेगी। बुनकरों को डीबीटी के जरिए 750 रुपये प्रति साड़ी मजदूरी दी जाएगी।

यूपी हैंडलूम के प्रबंध निदेशक केपी वर्मा ने बताया कि बीसी-सखी के रूप में काम करने वाली 58,000 महिलाओं को दो-दो साड़ियां देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही मंजूरी दे दी है और साड़ियों की बुनाई का काम प्रगति पर है। उन्होंने बताया कि हर साड़ी की कीमत 1934.15 रुपये और विभाग को 1.16 लाख साड़ी और ड्रेस सामग्री के लिए 22 करोड़ 43 लाख 61 हजार 400 रुपये की राशि जारी की गई है।

यूपी हथकरघा विभाग ने पांच उत्पादक कंपनियों को साड़ियां बनाने का काम सौंपा है जिनमें से तीन वाराणसी जिले से और एक-एक मऊ और आजमगढ़ से हैं। यूपी हथकरघा पहले ही लगभग 537 बुनकरों को 1.20 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है और 12,837 से अधिक साड़ियां तैयार हैं।

आर्थिक संकट से उबार रहे बुनकर : केपी वर्मा ने बताया कि कोविड-19 के कारण प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों के कारण बुनकरों के लिए रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया था। इस योजना के माध्यम से बुनकर को रोजगार प्रदान किया गया है। साथ ही बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो गई है और पैसा सीधे उनके बैंक खाते में स्थानांतरित किया जा रहा है। इससे अन्य हथकरघा बुनकर भी इस योजना की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

दो साल से चल रही बीसी सखी योजना : प्रदेश सरकार ने हर ग्राम पंचायत के लिए 21 मई 2020 को 58,000 बीसी सखियों को शामिल करने की घोषणा की थी। बीसी सखियां गांव में लोगों की बैंकिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए वन-स्टाप समाधान उपलब्ध कराती हैं, वह भी घर पर। महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्यों को बीसी सखियों के रूप में शामिल करने से वित्तीय समावेशन, समय पर पूंजीकरण, एसएचजी लेनदेन के डिजिटलीकरण और समुदाय के समग्र विकास को करने में मदद मिलती है।


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