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बजट सत्र में सरकार की परीक्षा लेगा रायबरेली हत्याकांड

सामूहिक हत्याकांड पर बसपा, कांग्रेस, सपा आक्रामक हैं खुद सरकार में ही दो धाराएं बन गई हैं।

By amal chowdhuryEdited By: Published: Tue, 11 Jul 2017 09:08 AM (IST)Updated: Tue, 11 Jul 2017 09:08 AM (IST)
बजट सत्र में सरकार की परीक्षा लेगा रायबरेली हत्याकांड
बजट सत्र में सरकार की परीक्षा लेगा रायबरेली हत्याकांड

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। रायबरेली के ऊंचाहार क्षेत्र में पांच ब्राह्मण युवाओं की नृशंस हत्या को पहले तो दबाने की कोशिश की गई लेकिन बाद में इसने तूल पकड़ लिया। इसे लेकर सरकार के दो मंत्री आमने-सामने हो गए हैं और मंगलवार से आरंभ विधानसभा सत्र में भी रायबरेली कांड गूंजेगा और सरकार की परीक्षा लेगा।

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सामूहिक हत्याकांड पर बसपा, कांग्रेस, सपा आक्रामक हैं। खुद सरकार में ही दो धाराएं बन गई हैं। घटना के बाद से ही श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य मरने वाले युवाओं को शातिर अपराधी ठहरा रहे हैं जबकि स्वामी पर हत्यारों को संरक्षण देने का आरोप लग रहा है। स्वामी के तल्ख बयानों के बाद कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

बसपा प्रमुख मायावती ने रायबरेली कांड के पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र के नेतृत्व में अपना प्रतिनिधि मंडल भेजने और मामले को बजट सत्र में जोर-शोर से उठाने को कहा है। इधर, कांग्रेस भी मामले को सदन में उठाने की तैयारी कर रहा है। सपा सरकार के पूर्व मंत्री व ऊंचाहार के विधायक मनोज पाण्डेय ने पहले से ही प्रदेशव्यापी जंग छेड़ रखी है।

बसपा, कांग्रेस, सपा समेत अधिकांश दल आक्रामक: रायबरेली के ऊंचाहार में सामूहिक हत्याकांड में मरने वाले जिन लोगों को उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य गुंडा करार दे रहे थे, कौशांबी से भाजपा सांसद और अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद सोनकर ने उसे गलत करार दिया है। उन्होंने साफ कहा कि सभी मृतक शरीफ और सामान्य लोग थे।

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तो गलत बोल रहे स्वामी प्रसाद: मारे गए पांच युवाओं में प्रतापगढ़ के देवरा संग्रामगढ़ निवासी अनूप मिश्र, अंकुश उर्फ भास्कर मिश्र, नरेश शुक्ल और कौशांबी के सांतों निवासी बृजेश शुक्ल कानून की नजरों में बेदाग हैं। सिर्फ रोहित शुक्ला के खिलाफ वर्ष 2000 में प्रतापगढ़ के संग्रामगढ़ थाने में बलवा, आगजनी, गुंडा, एससी-एसटी एक्ट और वर्ष 2004 में जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर किस आधार पर स्वामी प्रसाद मौर्य पांचों युवाओं को शातिर अपराधी और शूटर तक ठहरा रहे हैं।

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