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कैबिनेट फैसलाः नई आबकारी नीति मंजूर, स्पेशल जोन खत्म कर एकाधिकार तोड़ा

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने आज 12 महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मंजूरी की मुहर लगा दी है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिये नई आबकारी नीति का निर्धारण कर दिया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 23 Jan 2018 07:50 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jan 2018 08:28 AM (IST)
कैबिनेट फैसलाः नई आबकारी नीति मंजूर, स्पेशल जोन खत्म कर एकाधिकार तोड़ा
कैबिनेट फैसलाः नई आबकारी नीति मंजूर, स्पेशल जोन खत्म कर एकाधिकार तोड़ा

लखनऊ (जेएनएन)।योगी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिये नई आबकारी नीति का निर्धारण कर दिया है। इस नीति के जरिये बसपा सरकार में वर्ष 2008-09 से पिछली सपा सरकार तक चली आ रही करीब एक दशक की एकाधिकार (मोनोपोली) तोडऩे की पहल की गई है। सरकार ने न केवल स्पेशल जोन, मेरठ समाप्त कर दिया है बल्कि पूरे प्रदेश के लिये एक समान व्यवस्था लागू कर दी है। थोक के भाव में दुकानों के लाइसेंस पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। अब ऑनलाइन आवेदन होगा और एक जिले से दो से ज्यादा लाइसेंस एक व्यक्ति को नहीं मिल सकेंगे।

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आबकारी एकाधिकार तोड़ा

आज लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव समेत कुल 12 फैसलों पर मुहर लगी। फैसलों की जानकारी सरकार के प्रवक्ता और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने दी। सिद्धार्थनाथ ने बताया कि उप्र में अब तक आबकारी का जो एकाधिकार चल रहा था, उसे तोड़ते हुए पारदर्शी व्यवस्था की गई है। राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार ने पहल की है और इस नई नीति से वित्तीय वर्ष में 4673 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुनाफा होगा। यह राजस्व की 29.71 प्रतिशत की वृद्धि होगी। बताया कि 2008-09 में कुछ विशेष लोगों के लिए तबकी सरकार ने मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर और बरेली मंडल को मिलाकर एक विशेष जोन बनाया था। तब जोन बनाकर ठेका दिया जाता था लेकिन, अब कैबिनेट ने इसे समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब ऑनलाइन आवेदन होगा और ई-लॉटरी के जरिये आवंटन होगा। 

छद्म नामों से नहीं ले सकेंगे दुकानें 

सरकार ऐसी पारदर्शी व्यवस्था करने जा रही है कि लोग छद्म नामों से दुकान हासिल नहीं कर सकेंगे। नई नीति में प्रॉक्सी रोकने को आधार की व्यवस्था शुरू होगी। 

होलोग्राम की व्यवस्था होगी समाप्त 

प्रवक्ता ने बताया कि सरकार ने मदिरा की अवैध बिक्री को रोकने के लिए होलोग्राम की व्यवस्था समाप्त करने का फैसला किया है। नकली होलोग्राम के जरिये अवैध बिक्री की बाढ़ आ गई थी। अब नई व्यवस्था में ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम चालू किया जाएगा। 

राजस्व वृद्धि के लिए ऑफर 

आबकारी विभाग में राजस्व वृद्धि के लिए नई व्यवस्था की जा रही है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में अधिक उठान करने वाले कारोबारियों को लाइसेंस में वरीयता मिलेगी। देसी शराब का छह प्रतिशत, अंग्रेजी का 40 प्रतिशत और बीयर का 30 प्रतिशत अधिक उठान करने वाले को लाइसेंस नवीनीकरण में सरकार प्राथमिकता देगी। डिजिटल इंडिया के तहत अब इलेक्ट्रानिक पेमेंट की व्यवस्था की जाएगी। 

धर्मस्थल व स्कूलों से रहेगी दूरी

सरकार ने दुकानों के लिए स्थल निर्धारण से लेकर समय भी तय किया है। यह व्यवस्था बनाई जा रही है कि दिन में 12 बजे के बाद ही दुकान खुले और रात में भी समय से बंद हो जाए। मंत्री ने कहा कि समय का प्रारूप पूरी तरह तय कर बता दिया जाएगा। इसके अलावा यह भी व्यवस्था बन रही है कि स्कूल, धर्मस्थल और अस्पताल आदि सार्वजनिक स्थलों से दूर बिक्री हो। 

मद्यनिषेध विभाग का नियंत्रण लेने की तैयारी 

यह सवाल उठा कि एक तरफ तो सरकार मद्य निषेध पर जोर देती है और दूसरी तरफ मदिरा की बिक्री बढ़ाने पर भी। इस विरोधाभास पर प्रमुख सचिव आबकारी कल्पना अवस्थी का कहना था कि अभी तक मद्य निषेध विभाग समाज कल्याण विभाग से संचालित होता है लेकिन उसे आबकारी विभाग में लेने की तैयारी चल रही है। यह व्यवस्था होने से मद्य निषेध होगा और संतुलन बनाया जाएगा।

शीरा नीति में चीनी मिलों को राहत

सरकार ने नई शीरा नीति जारी करते हुए चीनी मिलों को राहत प्रदान की है। कैबिनेट ने वर्ष 2017-18 में शीरे के आरक्षण और निकासी अनुपात में भी बदलाव किया है। अब देशी मदिरा के लिए निर्धारित आरक्षित शीरे का कोटा 20 प्रतिशत से घटाकर 12 फीसद कर दिया है। इसी क्रम में निकासी अनुपात भी 1:4 से बढ़ा कर 1:7.4 किया गया है।प्रत्येक वर्ष एक नवंबर से अगले वर्ष के 31 अक्टूबर तक शीरा वर्ष होता है। इस बार शीरा नीति निर्धारण में देरी हुई परंतु चीनी मिल संचालकों की मददगार होगी। गत वर्ष आरक्षित शीरे का समय से उठान न होने के कारण चीनी मिलों को नुकसान झेलना पड़ा था। इस बार सरकार ने पुराना शीरे को समायोजित करने की सशर्त अनुमति दी है। पुराने आरक्षित शीरे की बिक्री करने के लिए यह प्रतिबंध लगाया है कि उक्त मात्रा की भरपाई नए सत्र में अनारक्षित शीरे से करेगी। वर्ष 2017-18 में शीरे की पर्याप्त उपलब्धता को देखते हुए मिलों को निकासी अनुपात का समाप्त करते हुए राहत दी है। केवल आरक्षित मात्रा को रोककर अनारक्षित शीरे की निकासी की इजाजत रहेगी। यदि देशी मदिरा के लिए आरक्षित शीरे की उपलब्धता नहीं होगी तो निकासी अनुपात की 1: 7.3 अनुपात लागू किया जाएगा। मिलों को सुविधा होगी कि वह वार्षिक आरक्षित शीरे का सात फीसद भंडारण करें। जिसमें शिथिलता का अधिकार शीरा नियंत्रक को होगा। शीरा उठान आदि का ब्यौरा आनलाइन पोर्टल दिया जाएगा। किसी आसवनी में क्षमता वृद्धि की स्वीकृति मिलती है तो इसके लिए गत तीन वर्षो का औसतन उत्पादन को ध्यान में रखते हुए कोटा निर्धारित किया जाएगा। प्रदेश से बाहर शीरा निर्यात के बारे में अवस्थापना व औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित शीरा विचलन समिति की व्यवस्था को समाप्त कर आनलांइन अनुमति प्रदान करने के लिए शीरा नियंत्रक की अध्यक्षता में समिति बनेगी।


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