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योगी सरकार ने किसानों को दिया बड़ा तोहफा, 15 जिलों में विकसित होंगे ईको फ्रेंडली फूड फारेस्ट

Eco friendly food forest योगी सरकार ने प्रदेश के किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। यूपी के 15 जिलों में ईको फ्रेंडली फूड फारेस्ट विकसित किये जाएंगे। फूड फारेस्ट में संबंधित क्षेत्र के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार पौधों का चयन किया जाएगा।

By Vikas MishraEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 09:48 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 06:46 AM (IST)
योगी सरकार ने किसानों को दिया बड़ा तोहफा, 15 जिलों में विकसित होंगे ईको फ्रेंडली फूड फारेस्ट
योगी सरकार की ओर से प्रदेश में हरियाली बढ़ाकर पर्यावरण संरक्षण की अभिनव पहल की जा रही है।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में हरियाली बढ़ाकर पर्यावरण संरक्षण की अभिनव पहल की जा रही है। सरकार ने अलग कृषि जलवायु वाले क्षेत्रों (एग्रो क्लाइमेटटिक जोन) के 15 जिलों को चिन्हित किया है। इन जिलों में स्थानीय किसानों के सहयोग से छह माह में फूड फारेस्ट विकसित किए जाएंगे। जिले के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार पौधों का चयन होगा। योगी सरकार के इस निर्णय से किसानों को फायदा मिलेगा। 

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खाद्य प्रसंस्करण विभाग की ओर से कहा गया है कि जो जिले इसके लिए चिन्हित किए गए हैं उनमें बिजनौर, अमरोहा और सहारनपुर आम की पट्टी के व संभल, रामपुर, बदायूं अमरूद पट्टी के हैं। इसी तरह अन्य जिले भी किसी न किसी फलपट्टी में शामिल हैं। ये पार्क इको फ्रेंडली होने के साथ खुद में कृषि विविधीकरण की भी मिसाल होंगे। फूड फारेस्ट में संबंधित क्षेत्र के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार पौधों का चयन किया जाएगा। 

निदेशक आरके तोमर ने बताया कि प्राकृतिक तरीके से नाइट्रोजन फिक्सेशन के लिए फूड फारेस्ट में दलहनी फसलों को भी स्थान दिया जाएगा। मसलन गोरखपुर में विकसित किए जाने वाले फूड फारेस्ट में पहले चरण में आम, अमरूद, अनार और पपीते के पौध लगाए जाएंगे। दूसरे चक्र में जामुन, बेर यानी छोटे जंगली फलों के पौधे लगाए जाएंगे। तीसरे चक्र में अरहर, मूंग, उड़द, मटर व चने की बोआई होगी। चौथे चरण में लेमनग्रास, तुलसी, अश्वगंधा जैसे हर्बल प्लांट पार्क लगेंगे। 

पांचवें चक्र में गिलोय, अंगूर, दमबूटी आदि बेल प्रजाति रोपित होगी। इसी तरह पौधों का चयन अलग-कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार होगा। इसमें लगी दलहनी फसलें प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन स्थिरीकरण (फिक्सेशन) का काम करेंगी। पक्षियों की बीट प्राकृतिक खाद का काम करेगी। फूलों पर आने वाली मधुमक्खियां और तितलियां परागण का काम करेंगी। सरकार का मकसद किसानों की आय बढ़ाना है। धान-गेंहू की परंपरागत खेती की बजाय कृषि विविधीकरण से ही ऐसा संभव है। ये पार्क खुद में इसकी नजीर होंगे। यही नहीं इन पार्कों से प्रसंस्करण इकाइयों के लिए भविष्य में कच्चा माल मिलेगा। फलदार पौधों का रकबे के साथ हरियाली भी बढ़ेगी।

इन शहरों में बनेंगे फूड पार्कः बुलंदशहर, सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, बिजनोर, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, पीलीभीत, गोरखपुर और गौतमबुद्धनगर। 


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