Yogi Cabinet Expansion : मिशन 2022 के लिए साधा क्षेत्रीय और जातीय संतुलन
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2014 से सभी आम चुनावों में विजय पताका फहरा रही भाजपा ने योगी मंत्रिमंडल के पहले विस्तार के जरिये 2022 जीतने की भूमिका तैयार की है।
लखनऊ [आनन्द राय]। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2014 से सभी आम चुनावों में विजय पताका फहरा रही भाजपा ने योगी मंत्रिमंडल के पहले विस्तार के जरिये 2022 जीतने की भूमिका तैयार की है। जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मनमाफिक टीम बनायी है। मंत्रिमंडल विस्तार में संगठन और सरकार के प्रति निष्ठा रखने का इनाम दिया गया है। जिन मंत्रियों के चलते सरकार की साख पर बट्टा लग रहा था उनकी छुट्टी कर संदेश दिया गया है कि साफ सुथरी छवि के लोग ही सरकार में रह पायेंगे।
मुख्यमंत्री अपनी नई टीम के जरिये 2022 में होने वाले विधानसभा के चुनाव और उससे पहले 13 सीटों के उप चुनाव और पंचायत चुनाव में भाजपा का परचम फहराने की भूमिका तैयार करेंगे। अब योगी टीम के कुल 56 सदस्यों में 27 अगड़े, 21 पिछड़े और सात अनुसूचित जाति के मंत्रियों के अलावा एक मुस्लिम मंत्री भी शामिल हैं। इस सोशल इंजीनियङ्क्षरग के जरिये समाज के हर वर्ग को अपना बनाने की कोशिश होगी। जिन जातियों को मौका नहीं मिल पाया उन्हें दूसरे मोर्चे पर महत्व दिये जाने की तैयारी है। बुधवार को जिन 23 मंत्रियों को शपथ दिलायी गयी उनमें दो क्षत्रिय, छह ब्राह्मण, तीन वैश्य, एक गुर्जर, एक पाल, दो कुर्मी, दो जाट, एक राजभर, एक कश्यप और एक लोध के साथ अनुसूचित जाति के तीन मंत्री हैं।
इसलिए राम नरेश और कमल रानी को बनाया सीधे कैबिनेट मंत्री
मार्च 2017 में योगी सरकार के शपथ ग्रहण में रमापति शास्त्री और प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल अनुसूचित जाति से कैबिनेट मंत्री बने थे। सांसद बनने के बाद बघेल के इस्तीफे से पद रिक्त था। इस विस्तार में कानपुर नगर के घाटमपुर की कमल रानी वरुण को कैबिनेट मंत्री बनाकर अनुसूचित जाति का यह कोटा भरा गया है। पासी समाज से आने वाली कमल रानी सांसद भी रह चुकी हैं। पासी समाज ने लोकसभा चुनाव में भाजपा का खुलकर साथ दिया था। मैनपुरी के भोगांव क्षेत्र के विधायक रामनरेश अग्निहोत्री ने लोकसभा चुनाव में सपा के गढ़ में बिगुल बजा दिया। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के क्षेत्र में भाजपा की हनक बनाने की वजह से उन्हें सीधे कैबिनेट मंत्री बनने का मौका मिला। संगठनात्मक पृष्ठभूमि के अग्निहोत्री की कार्यकर्ताओं में भी पकड़ है। कैबिनेट में उनके जरिये ब्राह्मण सीट को भी भरा गया है।
निष्ठा, कर्मठता और साफ-सुथरी छवि के चलते मिली प्रोन्नति
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चार मंत्रियों ओमप्रकाश राजभर, धर्मपाल सिंह, अनुपमा जायसवाल और अर्चना पांडेय की छुट्टी करने में जहां उनके खिलाफ शिकायतों का संज्ञान लिया वहीं कई लोगों की निष्ठा और समर्पण को भी महत्व दिया। डा. महेंद्र सिंह ने ग्राम्य विकास विभाग के तबादले में जिस तरह की पारदर्शी व्यवस्था बनायी उसका उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में तोहफा मिला। महेंद्र संह ने विभिन्न योजनाओं में 12 राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल किये। दूसरे राज्यों में प्रभावी चुनावी प्रबंधन से डा. महेंद्र भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की भी पसंद बन गये।
कैबिनेट मंत्री के रूप में प्रोन्नति पाने वाले सुरेश राणा मुख्यमंत्री के करीबी होने के साथ ही विपरीत परिस्थितियों के बावजूद गन्ना किसानों को राहत देने में कामयाब रहे। योगी सरकार में गन्ने को लेकर कोई बड़ा आंदोलन नहीं हुआ। सिर्फ दो वर्ष में ही उन्होंने 72 हजार करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान कराया और बंद पड़ी चीनी मिलों को चलाया। मुख्यमंत्री ने प्रोन्नत किये जाने वाले मंत्रियों की तारीफ भी की। राणा पश्चिम में ङ्क्षहदू चेहरे के रूप में भी पहचाने जाते हैं। पश्चिम के प्रभावी जाट चेहरा चौधरी भूपेंद्र सिंह ने पंचायती राज विभाग में 1.60 करोड़ शौचालय निर्माण में बेहतर भूमिका निभायी और संगठन से समन्वय बनाने के साथ ही विवाद से भी दूर रहे।
भाजपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने जब विद्रोह करते हुए सरकार के लिए मुश्किल खड़ी की तो अनिल राजभर ने ही उन्हें ललकारा। राजभर बिरादरी के बीच वह भाजपा के सिंबल बन गये। लोकसभा चुनाव में राजभर ने चंदौली में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। होमगार्ड विभाग में भी उन्होंने बेहतर कार्य किया। उन्हें पार्टी ने कैबिनेट का इनाम दिया है। सरकार में बेहतर कार्य करने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से आने वाले नीलकंठ तिवारी राज्यमंत्री से प्रोन्नति पाने वाले अकेले मंत्री हैं। वह पूर्वांचल में ब्राह्मण चेहरे के रूप में भी उभर रहे हैं। तिवारी ने भी न्याय और सूचना विभाग में बेहतर कार्य किया।
ऐसे की जातीय भरपाई
जिन मंत्रियों के इस्तीफे हुए उनकी जाति से मंत्री जरूर बनाये गये हैं। वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल के इस्तीफे के बाद मुजफ्फरनगर के कपिलदेव अग्रवाल को स्वतंत्र प्रभार देकर जातीय भरपाई की गयी है। दूसरी बार के विधायक कपिलदेव पश्चिम में सक्रिय हैं। अनुपमा जायसवाल की जगह वाराणसी के रवींद्र जायसवाल को मौका दिया गया है। रवींद्र प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से भी आते हैं। सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह योगी सरकार से हटे तो उनकी लोध बिरादरी के लाखन सिंह राजपूत को मौका मिल गया। सांसद बनने के बाद रीता बहुगुणा और सत्यदेव पचौरी के इस्तीफे और अर्चना पांडेय को हटाये जाने के बाद मंत्रिमंडल से ब्राह्मणों की संख्या घट गयी थी लेकिन इस विस्तार में ब्राह्मण चेहरे के रूप में कैबिनेट मंत्री राम नरेश अग्निहोत्री, राज्यमंत्री अनिल शर्मा, आनन्द स्वरूप शुक्ला और चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय को शपथ दिलाने से बड़ा संदेश दिया गया है। अब मंत्रिमंडल में कुल नौ ब्राह्मण मंत्री हो गये हैं जबकि आठ क्षत्रिय मंत्री हैं।
अपना दल को किनारे कर भाजपा ने चला अपना दांव
कयास लग रहे थे कि सहयोगी अपना दल एस के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल को मंत्री बनाया जा सकता है। अपना दल एस का कुर्मी बिरादरी में जनाधार है लेकिन, सहयोगी दलों से कड़वे अनुभव को देखते हुए भाजपा ने अपने कुर्मी नेताओं को आगे किया है। यही वजह है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के संसदीय क्षेत्र मीरजापुर के मडि़हान क्षेत्र से उनके सजातीय रमाशंकर पटेल को मंत्री बनाया गया है।
रमाशंकर बिरादरी में मजबूत पकड़ रखते हैं। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के अलावा मंत्री बनायी गयीं नीलिमा कटियार भी कुर्मी हैं। कुर्मी बिरादरी के मुकुट बिहारी वर्मा का नाम छुट्टी किये जाने वाले मंत्रियों की सूची में था क्योंकि वह लोकसभा का चुनाव हार गये थे और उनके विभाग में गड़बड़ी की शिकायतें भी खूब हुई थीं। लेकिन, नेतृत्व ने कुर्मी बिरादरी को साधने में मुकुट बिहारी की कुर्सी बचा दी।
पूर्वांचल, बुंदेलखंड से लेकर पश्चिम का प्रतिनिधित्व
सिद्धार्थनगर जिले के इटवा क्षेत्र से पहली बार चुने गये सतीश द्विवेदी ने सपा सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे माता प्रसाद पांडेय को चुनाव हराया था। स्वतंत्र प्रभार के ही मंत्री बनाये गये संतकबीरनगर के धनघटा विधायक श्रीराम चौहान तो अटल सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। गोरखपुर मंडल से मुख्यमंत्री खुद हैं जबकि इन दोनों मंत्रियों के जरिये उन्होंने बस्ती मंडल को प्रतिनिधित्व दिया है। आजमगढ़ मंडल में बलिया से आनन्द शुक्ल को मौका मिला है। वाराणसी से अनिल राजभर, नीलकंठ और रवींद्र जायसवाल का जबकि विंध्याचल मंडल से रमाशंकर पटेल का प्रतिनिधित्व है। बुंदेलखंड से चंद्रिका उपाध्याय को मौका मिला तो कानपुर अंचल के कमल रानी वरुण, नीलिमा कटियार और अजीत पाल को मौका मिला है। उधर, पश्चिम और ब्रज से भूपेंद्र सिंह, अनिल शर्मा, महेश गुप्ता, विजय कश्यप, डा. जीएस धर्मेश मंत्री बनाये गये हैं।
संगठन को भी तरजीह
सरकार में संगठन को तरजीह दी गयी है। प्रदेश महामंत्री अशोक कटारिया स्वतंत्र प्रभार और नीलिमा कटियार राज्यमंत्री बनायी गयी हैं। कमल रानी वरुण, राम नरेश अग्निहोत्री, चंद्रिका उपाध्याय समेत कई नाम हैं जो संगठन से जुड़े रहे हैं।