'फोर्टिफाइड चावल आपूर्ति के लिए बढ़ाएं वेंडरों की संख्या', CM योगी बोले- मिड-डे मील और आंगनबाड़ी केंद्रों में हो निरंतर सप्लाई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धान की सरकारी खरीद के दौरान फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) की आपूर्ति में आ रही समस्याओं के समाधान के निर्देश दिए ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धान की सरकारी खरीद प्रक्रिया के दौरान फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) की आपूर्ति में आ रही समस्याओं के निदान के निर्देश दिए हैं। धान खरीद की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि फोर्टिफाइड चावल की पर्याप्त उपलब्धता होनी चाहिए।
मिड-डे मील और आंगनबाड़ी केंद्रों में इसकी निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। एफआरके की आपूर्ति की निरंतरता के लिए वेंडरों की संख्या बढ़ाई जाए और तकनीकी अड़चनों का तत्काल समाधान किया जाए। उन्होंने धान खरीद केंद्रों की संख्या पांच हजार करने के लक्ष्य को जल्द पूरा करने और यहां आने वाले हर किसान से खरीद सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
धान खरीद के लिए 4227 खरीद केंद्र संचालित
सोमवार को हुई बैठक में बताया गया कि धान खरीद के लिए वर्तमान 4,227 खरीद केंद्र संचालित हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार इनकी संख्या बढ़ाने के लिए क्रय एजेंसियों को नए केंद्र खोलने के लिए लक्ष्य दे दिया गया है और संख्या बढ़ाने का काम भी शुरू हो गया है। 30 नवंबर तक 1,51,030 किसानों से 9.02 लाख टन धान खरीदा जा चुका है और 1,984 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे किसानों के खातों में भेजी गई है। वहीं, अब तक अब तक लगभग 2,130 टन एफआरके गुणवत्ता परीक्षण में पास हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि क्रय केंद्रों की संख्या बढ़ने से किसानों को अपने गांव-कस्बे के नजदीक ही सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। निर्देश दिए कि खरीद केंद्रों पर आवश्यकता के अनुसार मैनपावर बढ़ाई जाए, जिससे केंद्र पर भीड़ लगने की स्थिति न बने और किसानों को वापस न जाना पड़े। यह प्रशासन की जिम्मेदारी है। उन्होंने धान उठान, मिल मैपिंग आदि अन्य प्रक्रियाओं को और सरल बनाने पर भी जोर दिया, ताकि खरीद सुचारु और निरंतर गति में बनी रहे। भुगतान समय पर सीधे उनके खाते में पहुंच जाए।
बैठक में खाद और बीज की उपलब्धता पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि किसी भी जिले में खाद या बीज की कमी नहीं होनी चाहिए। दोनों निवेश, किसान को उसकी आवश्यकता के अनुसार आसानी से उपलब्ध हों। विभागीय अधिकारी स्टाक और आपूर्ति की नियमित समीक्षा करें।

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