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संवैधानिक दायित्व में जो सही लगता है वह साफ तौर पर कह देता हूं : नाईक

तीन बार विधायक तथा पांच बार सांसद चुने जाने के अलावा कई बार केंद्रीय मंत्री रहे राज्यपाल राम नाईक मानते हैं कि वह राजनीतिज्ञ पहले हैं लेकिन संवैधानिक पद पर होने के नाते न तो राजनीति करते हैं और न ही किसी राजनैतिक सवाल पर टिप्पणी करते हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2015 01:22 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2015 02:56 PM (IST)
संवैधानिक दायित्व में जो सही लगता है वह साफ तौर पर कह देता हूं : नाईक

{दिलीप अवस्थी-अजय जायसवाल}

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तीन बार विधायक तथा पांच बार सांसद चुने जाने के अलावा कई बार केंद्रीय मंत्री रहे राज्यपाल राम नाईक मानते हैं कि वह राजनीतिज्ञ पहले हैं लेकिन संवैधानिक पद पर होने के नाते न तो राजनीति करते हैं और न ही किसी राजनैतिक सवाल पर टिप्पणी करते हैं।

उत्तर प्रदेश में अपने 16 महीने के कार्यकाल के दौरान प्रदेश में सघन दौरों के लिए मशहूर हो चले राम नाईक ने राजभवन के अंदर भी कुछ छोटे किन्तु प्रभावी बदलाव किए हैं। आम जनता के लिए राजभवन के द्वार खोलने के अलावा उन्होंने अपने सभी कक्षों में प्रदेश में अब तक रहे सभी राज्यपालों के कार्यकाल को दर्शाने वाला एक सुनहरा बोर्ड लगवाया है और साथ ही प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाले नौ प्रधानमंत्रियों के चित्र भी लगवाए हैं।

राजनीति की पुरानी पाठशाला के छात्र होने के नाते राम नाईक एक सक्रिय राज्यपाल के रूप में कई बार मौजूदा सपा सरकार के लिए राह का रोड़ा भी नजर आते हैं क्योंकि वह सरकार के कार्यकलापों पर संवैधानिक प्रश्न चिह्न लगाने से नहीं हिचकते। 81 साल की उम्र में भी लखनऊ के कबाब-पराठे उन्हें बहुत भाते हैं। उनकी इच्छा तो है कि दुकानों पर जाकर लखनवी व्यंजनों का लुत्फ उठाएं लेकिन सुरक्षा के अलावा इस डर से कि उनके जाने से दुकानवाले का उस दिन का धंधा बंद हो जाएगा, वे राजभवन में कभी-कभी अवधी दावत कर लेते हैं।

मीडिया में खुद को लेकर आने वाली बातों पर महामहिम का कुछ अलग ही नजरिया है। संस्कृत का एक बहुत पुराना श्लोक सुनाकर इस संदर्भ में वह इसका भावार्थ बताते हैं कि 'चाहे सिर पर रखा हुआ घड़ा फोड़ दो या अपने कपड़े फाड़ लो या फिर गधे पर सवारी कर लो, बस किसी तरह प्रसिद्धि प्राप्त हो जाए' पेश है राज्यपाल राम नाईक से विस्तृत बातचीत के प्रमुख अंश

आप हैं तो राज्यपाल लेकिन पॉलिटिशियन की तरह काम कर रहे है?

- बिल्कुल मैं राजनेता हूं बस पार्टी पॉलिटिक्स में नहीं हूं। इतनी बार एमएलए, एमपी और मंत्री रहने के बाद मैं यकीनन पॉलिटिशियन हूं। घूमने और सीधा संपर्क होने से ही जानकारी मिलती है। हमेशा मिलने से लोगों के दुख-दर्द समझने और सुझाव देने का मौका मिलता है। तकरीबन 16 माह के कार्यकाल में यूपी के 75 जिलों में से अब तक मैं 52 जिलों के विभिन्न कार्यक्रम में जा चुका हूं। अभी भी 23 जिले बचे हैं। यूपी वाकई विशाल है।

आपकी हवाई यात्राओं पर सवाल उठाए जाते रहे हैं?

- देखिए, हेलीकाप्टर से मैं दो कारणों से यात्रा करता हूं। पहला तो यह कि कहीं जाने पर समय बचता है और दूसरा जेड श्रेणी की सुरक्षा होने के कारण यदि मैं सड़क मार्ग से जाऊं तो हर जगह पुलिस लगानी पड़ेगी। इससे पुलिस का काम रुकने के साथ ही ट्रैफिक थमने से जनता को भी दिक्कत होगी। मैं तो किसी भी शहर में कार्यक्रम भी वहां रखने के लिए कहता हूं जहां से शहरवासियों को दिक्कत न हो।

आपने तो राजभवन के दरवाजे सबके लिए खोल दिए?

- सुबह पांच-साढ़े पांच बजे उठकर मैं रात में 11 बजे सोता हूं। शुरू से ही दोपहर में आराम करने की आदत नहीं है। लखनऊ में हूं तो सुबह दस से दोपहर एक बजे तक आफिस का कार्य निपटाता हूं। अपराह्न तीन बजे से शाम छह बजे तक जो भी मिलना चाहता हूं उससे मिलता हूं।

सरकार के साथ कैसा रिश्ता है?

- गवर्मेंट के साथ मेरा रिश्ता अच्छा है। जब जरूरत समझता हूं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बुलाता हूं। चर्चा करता हूं। जहां तक काम की बात है तो राज्यपाल के पद के संवैधानिक दायित्व निभाते हुए मुझे जो सही लगता है वह मैं साफ तौर पर कह देता हूं। मैं ऐसा मानता हूं कि कुछ लोगों की तरह वह उसको खराब नहीं मानते हैं।

उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था के बारे में क्या राय है?

- मैं तो अभी भी यही कहूंगा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति में और सुधार की जरूरत है। राज्य में कुछ न कुछ होता रहता है लेकिन सांप्रदायिक माहौल बहुत खराब नहीं मानता हूं। क्राइम की घटनाएं जरूर कहीं ज्यादा हो रही हैं। पहले से किए जा रहे सुधार के प्रयासों के बाद अभी और भी स्थिति को सुधारने की आवश्यकता है।

राज्य में गुड गर्वनेंस की स्थिति कैसी मानते हैं?

- पिछले तीन-चार माह के दौरान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, लोकायुक्त व अन्य कई मामले में जिस तरह के हाईकोर्ट के फैसले आए हैं उससे गुड गर्वनेंस के प्रति सरकार के रवैया का अंदाजा लगाया जा सकता है? यहां के समाज की जो स्थिति है उसमें मुझे लगता है कि गांवों में जमीन को लेकर काफी विवाद है जिसका असर कानून-व्यवस्था की स्थिति पर दिखाई देता है। वैसे ही कानून व्यवस्था से जुड़े शहरों के भी जिस तरह के मामले निकलकर आ रहे हैं उसका असर गुड गर्वनेंस पर पड़ता है। बाहर से आने वालों के लिए प्रदेश की स्थिति समझने में गुड गर्वनेंस का महत्व है। मैं यह नहीं कहता कि गुड गर्वनेंस की स्थिति खराब है बल्कि यह कहना चाहता हूं कि अभी इसमें काफी सुधार करने की आवश्यकता है।

क्या गुड गर्वनेंस न हो पाने के पीछे जातिवाद की राजनीति है?

- देखिए, दुर्भाग्य की बात यह है कि जाति प्रथा के विरोध की बस बातें ही होती हैं। चाहे यूपी-बिहार हो या फिर महाराष्ट्र, सभी जगह ऐसी ही स्थिति है। हमारे यहां मराठी में कहा जाता है कि 'जो जाती नहीं है वह जाति है।इसे गुड गर्वनेंस से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। मेरा मानना है कि जाति प्रथा एक सामाजिक सुधार का विषय है।

सरकार को उसके काम-काज पर कितने नंबर देंगे?

- सरकार के प्रदर्शन पर मैं माकर्स तो नहीं दूंगा। यह काम तो जनता को करना है।

आपने कहा कि नरेन्द्र मोदी और अखिलेश यादव का विजन एक है?

- सिंपल बात है क्योंकि मोदी जी जहां मेक इन इंडिया की बात करते हैं वहीं अखिलेश मेक इन यूपी कहते है। मेरी सोच यह थी कि यूपी, हिन्दुस्तान में है और दोनों ही एक-दूसरे के परस्पर पूरक है, विरोधी नहीं इसलिए मैंने कहा कि इसमें विरोध देखने की आवश्यकता नहीं है।

बिहार के चुनाव के बाद यहां हर नजरिए से क्या स्थिति देखते हैं?

- यह एक राजनीतिक सवाल है जिस पर हम कोई जवाब नहीं देंगे। जनता बुद्धिमान है। चुनाव में हर एक को देखने, सुनने और पढऩे के बाद ही निर्णय करती है।

असहिष्णुता पर आपका क्या कहना है?

- यह राजनीतिक विषय है इसलिए हम इस पर कुछ नहीं बोलेंगे।

सपा के वरिष्ठ नेताओं के निशाने पर जब-कब आप रहते हैं?

- नेताओं की राजनीतिक टिप्पणियों पर मैं कुछ नहीं कहूंगा।

महीनों से राजभवन में कई विधेयक लंबित हैं?

- वैसे तो कोई भी विधेयक आने पर उसका कानूनी दृष्टि से परीक्षण करने के बाद ही मैं निर्णय करता हूं। विभिन्न कारणों से कुछ विधेयक काफी समय से लंबित हैं। विधेयकों के लंबित होने के कारणों के बारे में मैं कुछ और नहीं बता सकता।

नये लोकायुक्त का चयन अब तक नहीं हो सका है?

- लोकायुक्त चयन के पूर्व के घटनाक्रम से तो आप वाकिफ ही होंगे। नया लोकायुक्त का चयन न होने पर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना वाद दाखिल किया गया है जिस पर मैंने सरकार को लिखकर इस संबंध में जल्द प्रक्रिया पूरी करने को कहा है।


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