UP के अमेठी में है यज्ञ भगवान का अनोखा मंदिर, जहां राजीव गांधी से लेकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तक कर चुके हैं हवन
दिव्य व प्राचीन तपोस्थली अमेठी जिले के सगरा आश्रम में है जहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर मौजूदा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तक यज्ञ कर चुके हैं। इंदिरागांधी के निधन के बाद प्रधानमंत्री बनने पर स्वर्गीय राजीव गांधी ने यहां राष्ट्र रक्षा यज्ञ किया था।
लखनऊ, [धर्मेन्द्र मिश्रा]। हिंदू धर्म में यज्ञ करने का विशेष महत्व है। किसी बड़े कार्य की सिद्धि से पहले राजा-महराजाओं में भी यज्ञ का प्रचलन प्राचीन काल से रहा है। देश के विभिन्न भागों में ऋषियों-मुनियों ने कई स्थानों पर सैकड़ों वर्षों तक इतना यज्ञ और तप किया कि ऐसे पावन स्थान आज भी यज्ञ और प्राचीन तपोस्थली के रूप में हिंदू धर्म की पहचान बने हैं। एक ऐसी ही दिव्य व प्राचीन तपोस्थली अमेठी जिले के सगरा आश्रम में है, जहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर मौजूदा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तक यज्ञ कर चुके हैं। इंदिरागांधी के निधन के बाद प्रधानमंत्री बनने पर स्वर्गीय राजीव गांधी ने यहां राष्ट्र रक्षा यज्ञ किया था। इसके अलावा प्रमुख नेताओं में पूर्व राज्यपाल लालजी टंडन, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केसरीनाथ त्रिपाठी व माता प्रसाद पांडेय भी यज्ञ कर चुके हैं। सगरापीठाधीश्वर मौनी महाराज ने बताया कि यहां का यज्ञ कुंड सैकड़ों वर्ष प्राचीन है। पूर्व पीएम राजीव गांधी के अतिरिक्त राहुल व सोनिया गांधी भी यहां यज्ञकुंड में हवन कर चुके हैं। राजीव गांधी के हाथों दी गई मां दुर्गा की प्रतिमा प्रांगण में आज भी मौजूद है।
लगभग सभी पार्टियों के बड़े नेता यहां कार्य सिद्धि के लिए यज्ञ करते रहे हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने तो वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान सफलता पाने के लिए सगरा आश्रम पर यज्ञ किया था। उन्होंने बताया कि प्राचीन यज्ञ स्थली होने के नाते वर्ष 2000 में यहां यज्ञ कुंड के ऊपर भगवान का मंदिर स्थापित किया गया। जो कि प्रदेश का पहला यज्ञ भगवान का मंदिर है। देश में भी कहीं अन्यत्र यज्ञ भगवान का मंदिर जानकारी में नहीं है। इसका उद्घाटन प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष रहे केशरीनाथ त्रिपाठी ने किया था। 37 वर्षों से रोजाना होता है यज्ञ: विगत 37 वर्षों से मौनी महाराज यहां रोजाना यज्ञ करते हैं। मौनी महाराज अब तक देश के विभिन्न भागों में 56 भू समाधि और 16 जल समाधि लेने के लिए जाने जाते हैं। सबसे लंबी भू-समाधि उन्होंने नेपाल में 27 दिन की ली थी। इसके बाद तत्कालीन नेपाल नरेश वीरेंद्र विक्रम शाह ने उन्हें सोने का मुकुट और चंद्रमा भेंट किया था, जिसे आज भी वह सिर पर धारण करते हैं। विगत 40 वर्षों से उन्होंने भोजन नहीं किया है। वह कहते हैं कि भगवान यज्ञ विष्णु के ही रूप हैं। आश्रम के प्रांगण में मौजूद 125 वर्ष से भी अधिक पुराना भगवान शिव का मंदिर भी है। यह इकलौता मंदिर है जो पूरी तरह रुद्राक्ष की मालाओं से आच्छादित है। यहां उज्जैन के महाकाल दरबार में स्थापित हूबहू शिवलिंग मौजूद है। दूर-दूर से भक्त यहां दर्शन-पूजन को आते हैं।