जरूरतमंद और मलिन बस्ती के बच्चों के अभिनय कौशल को मिल रहा मंच
चबूतरा थियेटर से उड़ान भर रहे रंगमंच के नवांकुर, लेखन के साथ निर्देशन की भी सीख रहे कला। कई बच्चे नाट्य अभिनय, लेखन के साथ ही फिल्मी पर्दे पर भी चमके।
लखनऊ, जेएनएन। बाल रंगमंच की प्राचीनता और आवश्यकता स्वयं प्रमाणित है। जब टेक्नोलॉजी ने घरों में प्रवेश नहीं किया था, तब बच्चे खेलों में प्रहसन किया करते थे। कृष्ण लीलाओं का मंचन इसका एक उदाहरण है। रचनात्मक और सृजनात्मक विकास का ये जरिया भी हुआ करता था। समय के साथ बाल रंगमंच की तस्वीर भी बदलती गई। बावजूद इसके कुछ लोग हैं, जो आज भी इसकी उपयोगिता समझते हुए बाल रंगकर्मी तैयार करने में प्रयासरत हैं। शहर में चबूतरा थियेटर से रंगमंच के नवांकुर प्रतिभा के नये आकाश की ओर उड़ान भर रहे हैं। जरूरतमंद और मलिन बस्ती के ये बच्चे नाट्य अभिनय, लेखन के साथ ही फिल्मी पर्दे पर भी चमके हैं।
संस्थान के सचिव महेश चंद्र देवा कहते हैं, अभिनय की पहली सीढ़ी रंगमंच है। ये अभिनय के साथ ही व्यक्तित्व विकास का जरिया भी है। बहुत से प्रतिभावान बच्चे सिर्फ संसाधनों और मार्गदर्शन की कमी के कारण आगे नहीं बढ़ पाते। हम बहुत कुछ तो नहीं कर सकते पर किसी में छिपे हुनर को तराश कर सबके सामने जरूर ला सकते हैं। बाल और युवा चेहरों पर ही रंगमंच का भविष्य टिका है। ये हमारा दायित्व भी है कि हम प्रतिभाओं को बेहतर मंच दें।
पाठशाला के नगीने
मो. अमन, तीनाशा, वाल्मीकि, रिया चौधरी, दिया चौधरी, प्रिंसी वाल्मीकि, आकाश वाल्मीकी, शेखर, अंकित चौधरी, मो. सैफ, सोनाली वाल्मीकि, हर्ष गौतम, काजल गौतम आदि बच्चों की प्रतिभा को चबूतरा थियेटर से नई पहचान मिली है। इनमें तनीशा वाल्मीकि को डीडी यूपी एवं प्राइवेट चैनल में अभिनय में शानदार प्रदर्शन/कहानी लेखन एवं नाट्य निर्देशन के लिए 'नारी शक्ति सम्मान 2016' से सम्मानित किया गया। मो. अमन को नाट्य लेखन निर्देशन के लिए 'बाल प्रतिभा सम्मान' मिला। वहीं सोनाली वाल्मीकि को नाट्य लेखन/निर्देशन/पेंटिंग के लिए और हर्ष गौतम को अभिनय के लिए सम्मानित किया जा चुका है। मो. सैफ ने अब तक 16 नाटकों में अभिनय किया है।
इन बच्चों की प्रतिभा लाजवाब
वाल्मीकि कॉलोनी शाखा के प्रिंसी वाल्मीकि, शेखर, रिया, आकाश वाल्मीकि ने डीडी यूपी के सीरियल रवींद्रनाथ ठाकुर की कहानी 'अल्योझा' में मुख्य भूमिकाएं (बाल) निभाईं। रविदास पार्क शाखा के काजल गौतम, आर्यन गौतम, खुशी गौतम, सोनाली, वैशाली वाल्मीकि, मो. अमन, मो. सैफ, मो. आरिफ आदि उप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की डॉक्यूमेंट्री फिल्म में काम कर चुके हैं।
टीवी से फिल्म तक
मो. अमन ने सावधान इंडिया व ब्रह्मानंद सिंह की बाल फिल्म झलकी में काम किया। सिया सिंह, नीलिमा चौधरी और आर्यन चौधरी ने एक छोटी सी मुस्कान (स्माइल ट्रेन प्रोजेक्ट मुनमुन की कहानी) शॉर्ट फिल्म में काम किया है। आर्यन गौतम ने गुलजार की कविता पर आधारित 'चलो छत पर मिलते हैं' पर एक एड फिल्म में काम किया। इनके अलावा खुशी गौतम, नैंसी और शिखा वाल्मीकि भी कई विज्ञापनों में नजर आ चुकी हैं। आर्यन चौधरी ने फिल्म अभिनेता कुणाल खेमू के साथ वेब सीरिज 'अभय' में काम किया है। खुशी उलझन फिल्म में काम कर रही हैं। शिखा नैंसी और शिवानी अनुभव सिन्हा की फिल्म में काम करने वाली हैं।
निश्शुल्क देते प्रशिक्षण
चबूतरा थियेटर में निश्शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। अभिनय, लेखन और निर्देशन के साथ ही चित्रकला, गायन, नृत्य और कविता-कहानी लेखन और पाठ की भी बारीकियां सिखाई जाती हैं।
ऐसे हुई थी शुरुआत
मदर सेवा संस्थान द्वारा संचालित चबूतरा थियेटर की शुरुआत दिसंबर 2013 को कामनी देवी की प्रेरणा से हुई। शहर के छह स्थानों में गरीब, उपेक्षित, अल्पसंख्यक और पिछड़े समाज के बीच में चबूतरा थियेटर पाठशालाएं (सीटीपी) खोली गईं। राजाजीपुरम में खोली गई चबूतरा थियेटर पाठशाला में ब'चों की अंतर्निहित कलाओं जैसे अभिनय, गायन, नृत्य, लेखन, चित्रकारी, क्ले मॉडलिंग और आत्मरक्षा आदि हुनरों से रूबरू कराया गया। तीन सालों में सीटीपी के ब'चों ने रेडियो, टेलीविजन और सिनेमा जगत में इंट्री की। विभिन्न मंचों पर यादगार प्रस्तुतियां दीं।