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World Cerebral Palsy Awareness Day: प्रसव में देरी बढ़ा देती है सेरीब्रल पल्सी की 10 गुना आशंका

प्रसव में कभी न चलाएं अपनी मर्जी प्रसव में देरी बढ़ा देती है सेरीब्रल पल्सी की 10 गुना आशंका पांच सौ जंम लेने वाले में से एक में होती है सेरीब्रल की आशंका। फ्लपी इंफेट सिंड्रोम और स्पास्टिक इनफेंट सिंड्रोम दो तरह की होती है सेरीब्रल पल्सी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2020 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 06:40 AM (IST)
World Cerebral Palsy Awareness Day: प्रसव में देरी बढ़ा देती है सेरीब्रल पल्सी की 10 गुना आशंका
विश्व सेरीब्रल पल्सी जागरूकता दिवस प्रसव में देरी से बढ़ती है 10 गुना आशंका।

लखनऊ [कुमार संजय]। प्रसव के लिए जैसे ही स्त्री रोग विशेषज्ञ आपरेशन की सलाह देती है तो परिजन तुरंत सोच लेते है कि पैसे के लिए आपरेशन करने को कह रही है हो भी सकता है लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। संजय गांधी पीजीआई के तंत्रिका रोग विशेषज्ञ डा. रूचिका टंडन कहती है कि प्रसव के लिए जब भी स्त्री रोग विशेषज्ञ आपरेशन के लिए कहे तो इसे टालना शिशु के मानसिक, शारीरिक, बौद्धधिक विकलांगता का कारण हो सकता है। प्रसव में देरी होने पर सेरीब्रल पल्सी होने की आशंका दस गुना तक बढ़ जाती है। जब शिशु जंम लेता है तो वह तुरंत रोता है इससे उसका फेफड़ा फैलता है और शिशु आक्सीजन ग्रहण करता है। रक्त में आक्सीजन मिल कर (अक्सी हीमोग्लोबीन) पूरे शरीर और दिमाग में जाता है। जंम के तुंरत बाद दिमाग में आक्सजीन की कमी से दिमाग में न्यूरान डैमेज हो जाते हैं।  इस परेशानी को सेरीब्रल पल्सी(सीपी) कहते हैं। विश्व सेरीब्रल जागरूकता दिवस ( 6 अक्टूबर) के मौके पर विशेषज्ञों का कहना है कि जंम के समय अक्सीजन के कमी के अलावा शिशु के जंम लेने के बाद निमोनिया, दिमागी संक्रमण के कारण मैनेजाइटिस भी  कारण है। जागरूकता की कमी से विश्व में हर 5 सौ लाइव बर्थ में एक में इस परेशानी की आशंका होती है।

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दो तरह की होती है सेरीब्रल पल्सी

फ्लपी इंफेट सिंड्रोम और स्पास्टिक इनफेंट सिंड्रोम दो तरह की सेरीब्रल पल्सी होती है। फ्लपी इंफेट में शरीर की मासपेशियों में कमज़ोरी रहती है जिसके वजह से बच्चा चलने, बोलने सहित कई में लाचार होता है। स्पास्टिक में मांसपेशियाँ कड़ी हो जाती है। दोनों ही स्थित बच्चों को जीवन भर के विकलांग बना सकती है।

कुछ हद तक सुधर सकती है लाइफ

विभाग के प्रमुख प्रो.सुनील प्रधान कहते है कि सेरीब्रल पल्सी के कुछ बच्चों का दिमाग तो ठीक होता है लेकिन शरीर के अंगों पर कुप्रभाव होता है। केवल लिंब में समस्या होती है ऐसी बच्चों की क्वालटी आफ लाइफ कुछ हद ठीक की जा सकती है। इसके लिए वेक्लोफेन, टाइजेनिड एंटी स्पाज्म दवा दी जाती है जो स्पास्टिक इंफेंट सिंड्रोम में कारगर होती है। इसके साथ फीजियोथिरेपी की अहम भूमिका है। संस्थान में इन बच्चों के केयर पर विशेष ध्यान दिया जाता है। हमारे पास हर सप्ताह पांच से आठ बच्चे इस बीमारी के साथ आते हैं। 

हाई रिस्क प्रिगनेंशी में बरते सावधानी

गायनकोलाजिस्ट एसोसिएशन की सदस्य स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. मेनका सिंह कहती है कि सेरीब्रल पल्सी युक्त शिशु का जंम रोकने के लिए हाई रिस्क प्रिगनेंशी वाली महिलाओं को विशेष देख -रेख में रखने की जरूरत है। यदि हाई बीपी, डायबटीज, सिफलो पेल्विक डिसप्रपोशन( शिशु का सिर बड़ा और योनि द्वार छोटा) के अलावा स्वत:गर्भपात, प्रीमेच्योर बर्थ की हिस्ट्री है तो यह हाई रिस्क प्रिगनेंशी में आता है। 

यह करें सरीब्रल पल्सी युक्त जंम रोकने का उपाय

  • गर्भधारण करने के बाद स्त्री रोग विशेषज्ञ से लेते रहे सलाह
  • हर तीन महीने पर अल्ट्रासाउंड परीक्षण कराएं
  • प्रसव वहीं पर कराए जहां पर बाल रोग विशेषज्ञ की हो उपलब्धता
  •  शिशु को पूरा कराएं टीका करण
  • स्त्री रोग विशेषज्ञ के सलाह के अनुसार ही कराएं प्रसव

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